By Prakhar Pandey2023-03-04, 09:21 ISTjagranjosh.com
बारिश
बारिश के समय में कभी न कभी आपने भी इंद्रधनुष तो देखा ही होगा। आइए जानते हैं कि यह कैसे बनता है और कितने प्रकार का होता हैं?
रेनबो
रेनबो सूरज की रोशनी को पानी की बूंद में अपवर्तन(Refraction) ,रंगों के फैलाव और पूर्ण आंतरिक प्रतिबिंब की संयुक्त घटना है।
प्रकार
इंद्रधनुष कुल दो प्रकार के होते हैं। एक को हम प्राइमरी रेनबो तो दूसरे को सेकेंडरी रेनबो कहते हैं।
प्राइमरी रेनबो
प्राइमरी रेनबो में जब सूर्य का प्रकाश बारिश की बूंद से बाहर निकलता है तो बैंगनी रंग प्राथमिक स्थिति से 40 डिग्री एंगल पर और लाल रंग 42 डिग्री एंगल पर विक्षेपित होते हैं। बचे 5 रंग इनके सेंटर में होते
सेकेंडरी रेनबो
सेकेंडरी रेनबो प्राइमरी रेनबो की तुलना में थोड़ा ब्लर दिखाई देता है। इसमें सभी रंगों का क्रम प्राइमरी इन्द्रधनुष के अपोजिट है। इसमें सबसे ऊपर बैंगनी रंग और सबसे नीचे लाल रंग होता है।
फर्क
प्राइमरी रेनबो में जहां लाल रंग सबसे ऊपर होता हैं और बैंगनी रंग सबसे नीचे वहीं सेकेंडरी रेनबो में सबसे ऊपर बैंगनी रंग और सबसे नीचे लाल रंग होता है।
टोटल रेनबो कलर्स
रेनबो में कुल 7 रंग होते हैं।लाल, नारंगी, पीला, हरा, नीला, इंडिगो और बैंगनी रंग से ही रेनबो बनता हैं।
एंटी सोलर प्वाइंट
हर व्यक्ति का एंटी सोलर पॉइंट एक दूसरे से अलग होता है, इसलिए सबको अलग अलग रेनबो दिखाई देते हैं। लेकिन देखने वाले को ऐसे लगता है कि सबको एक ही इंद्रधनुष दिखाई दे रहा हैं।
दिशा
इंद्रधनुष हमेशा सूरज की दिशा के विपरीत ईस्ट या वेस्ट में बनता हैं। इसके बनने की वजह रोशनी का अपवर्तन (refraction) और परावर्तन (reflection) के हैं।
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