By Priyanka Pal28, Sep 2023 01:32 PMjagranjosh.com
संपत्ति
क्या आपको पता है हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 1956 में जिसके साल 2005 में हुए संशोधन के बाद बेटियों को पिता की संपत्ति में बेटों के बराबर हक दिया गया है।
महिलाओं
तो वहीं साल 2020 में हुए संशोधन के बाद पैतृक संपित्त में महिलाओं को समान अधिकार दिया गया है।
अधिकार
पिता द्वारा बनवाई गई संपत्ति में बेटियों का हक उतना ही होता है जितना बेटो का।
पैत्तृक संपत्ति
पूर्वजों या कहें परिवार की पैत्तृक संपत्ति में भी जितने हिस्सेदार बेटे होते हैं उतना ही अधिकार बेटियों का भी होता है।
वसीयत
बिना वसीयत के यदि पिता की मृत्यू हो जाती है तो भी बेटियों का संपत्ति पर समान अधिकार होता है।
शादीशुदा बेटी
भारतीय कानून के अनुसार यदि बेटी की शादी हो जाती है फिर भी उसका अपने पिता की संपत्ति पर बराबर का अधिकार होता है।
कब बेटी संपत्ति की वारिस नहीं होती ?
पिता ने अगर अपनी वसीयत में बेटी को जगह नहीं दी हो पूरी संपत्ति बेटे, बहू, नाती, पोता, दोस्त आदि के नाम की हो तो ऐसी स्थिती में बेटी संपत्ति की वारिस नहीं होती।
दूसरी वजह
जब कोर्ट में इस बात का रिकॉर्ड दर्ज हो कि बेटी और पिता का रिश्ता टूट गया है।
बेटी अपने फैसले कब ले सकती है ?
भारतीय कानून कहता है बेटा हो या बेटी दोनों ही बालिग होने के बाद अपने फैसले खुद लेने के लिए स्वतंत्र होते हैं।
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