जानिए महाकुंभ के आयोजन का महत्व


By Priyanka Pal21, Dec 2024 11:59 AMjagranjosh.com

उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 के महाकुंभ मेले से पहले महाकुंभ क्षेत्र को नया जिला घोषित किया है। जिसमे नए जिले को महाकुंभ मेला जिले के नाम से जाना जाएगा।

महाकुंभ धार्मिक मेला

महाकुंभ मेला दुनिया के सबसे बड़े धार्मिक मेलों मे से एक है। हिंदुओं के लिए इसे आध्यात्मिक शुद्धि और अनुष्ठानों के लिए लाखों तीर्थ यात्रियों को आकर्षित करता है।

आयोजन

महाकुंभ का आयोजन भारत के मुख्य चार स्थानों पर आयोजित होता है, जिसमें प्रयागराज, नासिक, हरिद्वार और चौथा स्थान है उज्जैन। लेकिन विशेष आयोजन प्रयागराज में माना जाता है।

पौराणिक कथाएं

कुंभ मेले का संबंध समुद्र मंथन से है जिसमें देवताओं और असुरों ने मिलकर अमृत प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया था। तब अमृत का कलश प्राप्त हुआ था।

पवित्र स्थान

पौराणिक कथाओं के अनुसार, जिन चार पवित्र स्थानों पर अमृत कलश की बूंदे गिरी थीं, वे स्थान प्रयागराज, हरिद्वार, नासिक और उज्जैन थे।

तीर्थ स्थल

कहा जाता है कि ब्रह्मा ने अपना पहला यज्ञ प्रयागराज में किया था। इसी वजह से इस स्थान को दिव्य स्थान का महत्व दिया जाता है।

नदियों का संगम

प्रयागराज तीन नदियों का संगम भी है जिसमें सरस्वती नदी है जो अब मौजूद नहीं है। हरिद्वार में गंगा, उज्जैन में शिप्रा नदी, नासिक में गोदावरी और प्रयागराज से गंगा, यमुना।

नए जिले का आयोजन

उत्तर प्रदेश में महाकुंभ मेले के आयोजन के लिए 76वां जिला बनाया गया है। इस नए जिले में प्रयागराज जिले की चार तहसीलों के 67 गांव शामिल किए जाएंगे।

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