खुद को कमजोर समझना बहुत बड़ा पाप है - स्वामी विवेकानंद
By Priyanka Pal19, Mar 2024 06:45 PMjagranjosh.com
स्वामी विवेकानंद के विचार
स्वामी जी का मानना था कि इस दुनिया का इतिहास उन खास लोगों का इतिहास है, जिन्होंने खुद पर विश्वास किया। यह आत्मविश्वास ही है। जो अंदर सोती हुयी अनंत - असीम शक्तियों को जाग्रत करता है। इस शक्ति को जाग्रत न करने के कारण ही इंसान असफल होता है।
खुद को जानो
विवेकानंद का कहना था कि सबसे पहले विश्वास करो कि संंसार, इसके भुलावे और इसकी कठिनाइयों के पीछे एक मकसद है। वह यह है कि तुम पहले खुद को जान लो। इसलिए पीछे मत देखो अनंत ऊर्जा, अनंत उत्साह और अनंत धैर्य के साथ आगे बढ़ो।
आगे बढ़ो
स्वामी जी का कहना था कि आगे बढ़ते रहने के लिए हर दिन अपने मन को उच्च विचारों से भरो, उच्च लक्ष्य से भरो। सुबह शाम दिन रात यह तुम्हारी आंखों के सामने छपे होने चाहिए। इन विचारों के द्वारा महान प्रयत्न और महान कर्म अपने आप स्वयं ही प्रकट होते हैं।
महान
यही सृष्टि का नियम है कि महान लक्ष्य को पूरा करने के लिए धैर्य, पुरुषार्थ और महान प्रयत्न को प्रकट होना ही पड़ता है। गलती का शोक मत करो। तुरंत दोबारा आरंभ करो। हजारों गलतियों, ठोकरों के बाद भी चलते रहने से ही चरित्र बनता है।
उद्देश्य
स्वामी कहते हैं कि अगर तुम पैसा और प्रसिद्धि पाना चाहते हो, स्वार्थ के लिए सफल होना चाहते हो। तो भी मैं तुन्हें रोकूंगा नहीं। लेकिन हमेशा अपना उद्देश्य बड़े से बड़ा करते रहो। इसे पूरा करने के लिए हमेशा दृढ़ निश्चय से प्रयास करो।
कर्म
हमेशा कर्म पर तुम्हारा अधिकार है फल पर नहीं। जैसे - जैसे तुम अपने मन को जानोगे वैसे - वैसे तुम्हें ज्ञात होगा कि कर्म ही फल है। क्योंकि जैसे तुम कर्म करते हो वैसे इंसान तुम तत्काल बन जाते हो।
दृढ़ संकल्प
दृढ़ संकल्प करो मैं कभी किसी व्यक्ति को दोष नहीं दूगा। दृढ़ संकल्प करो मैं अपने से अलग किसी शक्ति या किस्मत को दोष नहीं दूंगा। हर घटना की जिम्मेदारी खुद लो। ऐसा करने से तुम जानोगे घर घटना जो तुम्हें प्रकट होती है, उसे संभालने में तुम सक्षम हो।
खुद पर भरोसा
आपको इस बात पर हमेशा भरोसा रखना चाहिए जो भी तुम बनना चाहते हो, वह बन सकते हो।
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