By Mahima Sharan15, Jan 2025 09:00 AMjagranjosh.com

प्रयागराज का कुंभ मेला

प्रयागराज में महाकुंभ मेला शुरू हो चुका है। हर 12 साल में आयोजित होने वाले कुंभ मेले को दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक समागम माना जाता है। देश-विदेश से लाखों श्रद्धालु इस भव्य आयोजन में हिस्सा लेते हैं और गंगा, यमुना और सरस्वती नदियों के संगम के रूप में जाने जाने वाले त्रिवेणी संगम में पवित्र डुबकी लगाते हैं।

संगम में स्नान करने का महत्व

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, इस दौरान संगम में स्नान करने से पापों का नाश होता है और दैवीय आशीर्वाद मिलता है। हालांकि, ऐसा माना जाता है कि कुंभ मेले के दौरान शाही स्नान में भाग लेने का आध्यात्मिक महत्व और भी अधिक होता है, जिससे विशेष फल मिलता है।

शाही स्नान क्यों महत्वपूर्ण है?

महाकुंभ का पहला शाही स्नान 14 जनवरी, 2025 को मकर संक्रांति के दिन होगा। इस शुभ दिन पर सबसे पहले नागा साधु संगम में स्नान करते हैं, उसके बाद आम लोग। ऐसा कहा जाता है कि यह पवित्र स्नान न केवल वर्तमान जीवन के पापों को दूर करता है, बल्कि पिछले जन्मों के पापों को भी मिटाता है।

शाही स्नान महाकुंभ 2025 तिथियां

महाकुंभ मेला 2025 13 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा, जिसका समापन त्रिवेणी संगम पर पवित्र स्नान अनुष्ठानों की श्रृंखला के साथ होगा। ये शाही स्नान त्योहार के आध्यात्मिक आकर्षण हैं, माना जाता है कि ये आत्मा को शुद्ध करते हैं और पापों को दूर करते हैं।

महाकुंभ का इतिहास

कुंभ मेले का इतिहास समुद्र मंथन या सागर मंथन से जुड़ा है। किंवदंतियों के अनुसार, देवताओं और राक्षसों ने अमरता के अमृत को प्राप्त करने के लिए समुद्र मंथन किया था। इस ब्रह्मांडीय घटना के दौरान, अमृत का एक कुंभ निकला। भगवान विष्णु ने अपने मोहिनी अवतार में घड़े को सुरक्षित किया और चार स्थलों: प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक पर अमृत की बूंदें गिराईं, जिससे वे पवित्र हो गए।

कहा जाता है कि यहां स्नान करने से बहुत पुण्य मिलता है। शिक्षा से जुड़ी तमाम खबरों के लिए जुड़े रहे jagranjosh के साथ

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