प्लेन में Flight Mode पर क्यों रखना पड़ता है फोन? जानें वजह


By Mahima Sharan20, Aug 2023 12:00 PMjagranjosh.com

स्मार्टफोन के फीटर

स्मार्टफोन के इस्तेमाल के चलन के बावजूद लोग अभी भी इसके कई फीचर्स से अनजान हैं। ऐसा ही एक फीचर है फ्लाइट मोड। नेटवर्क खराब होने पर ज्यादातर लोग इसे सिस्टम रीबूट के तौर पर इस्तेमाल करते हैं।

फ़्लाइट मोड

हालाँकि, फ़्लाइट मोड को आरामदायक हवाई यात्रा को ध्यान में रखते हुए डिज़ाइन किया गया है। आपने फ्लाइट अटेंडेंट को यह कहते हुए सुना होगा कि आपको अपनी सीट बेल्ट बांधनी चाहिए और फोन को फ्लाइट मोड पर रखना चाहिए।

फ्लाइट मोड का काम

कई फोन में फ्लाइट मोड को एयरप्लेन मोड या स्टैंडअलोन मोड लिखा होता है। पहले फोन बंद करना पड़ता था जब आप फ़्लाइट मोड चालू करते हैं, तो आपका फ़ोन नेटवर्क क्षेत्र से बाहर चला जाता है।

जीपीएस, ब्लूटूथ और वाईफाई

इससे जीपीएस, ब्लूटूथ और वाईफाई जैसी कई सेवाएं बंद हो जाती हैं। इसके साथ ही इंटरनेट और कॉलिंग सेवा भी बंद हो जाती है। इस मोड में फोन रखने के बाद आप न तो कोई इनकमिंग कॉल रिसीव कर सकते हैं और न ही कोई आउटगोइंग कॉल कर सकते हैं।

बंद होने के बाद भी इस्तेमाल

फोन को इस मोड में रखने का एक फायदा यह भी है कि बंद होने के बाद भी आप अपने फोन का इस्तेमाल कर सकते हैं। आप फोन में फिल्में, वीडियो देख सकते हैं, संगीत सुन सकते हैं और गेम खेल सकते हैं।

चालू करना क्यों जरूरी है?

दरअसल, उड़ान के दौरान पायलट पूरे समय कंट्रोल रूम के संपर्क में रहते हैं। यह संपर्क रेडियो तरंगों के माध्यम से बनाए रखा जाता है, जो विमान के नेविगेशन और संचार प्रणाली में सहायक होता है।

टावरों से सिग्नल

वहीं मोबाइल फोन भी एक साथ कई टावरों से सिग्नल कनेक्ट करते रहते हैं। मोबाइल तरंगें अन्य स्थानों की संपर्क प्रणाली से जुड़ने लगती हैं।

कंट्रोल रूम के बीच संचार में दिक्कत

ऐसे में अगर मोबाइल स्विच ऑफ या फ्लाइट मोड पर नहीं है तो पायलट और कंट्रोल रूम के बीच संचार में दिक्कत आएगी और कंट्रोल रूम से आने वाली जानकारी पायलट को स्पष्ट नहीं हो पाएगी।

दुर्घटना का शिकार

मोबाइन ऑन होने से पायलट को कंट्रोल रूम से संपर्क करने में परेशानी होगी जिससे विमान को उड़ान भरने में दिक्कत होगी, और विमान के दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना बढ़ जाएगी.

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