अफगानिस्तान से तालिबान को वर्ष 2001 में सत्ता से बेदखल करने के बाद पहली बार नाटो ने पूरे देश की सुरक्षा व्यवस्था अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों को सौंप दी. इसके साथ ही सुरक्षा दायित्व अफगान सेनाओं को सौंपे जाने की 2011 में शुरू हुई प्रक्रिया पूरी हो गई.
राष्ट्रपति हामिद करजई ने 18 जून 2013 को एक समारोह में इस आशय की घोषणा की, जिसमें नाटो सेनाओं ने देश के बाकी बचे 95 जिलों का नियंत्रण अफगान सेनाओं को सौंपा. इसमें दक्षिण और पूर्वी क्षेत्र शामिल हैं जहां तालिबान वर्ष 2001 से हिंसा कर रहा है. हालांकि गठबंधन सेना द्वारा जरूरत पड़ने पर अफगान सैनिकों की मदद की जानी है, लेकिन गठबंधन सेना द्वारा सैन्य अभियान का नेतृत्व नहीं किया जाना है.
विदित हो कि इस कदम से अगले 18 महीने में अफगानिस्तान से नाटो सैनिकों की वापसी का रास्ता भी खुल गया. नाटो के महासचिव एंडर्स फोग रसमुसेन हैं. अफगानिस्तान में आईएसएएफ के करीब 97000 सैनिक मौजूद हैं, जो 50 सहयोगी देशों के हैं. इनमें सर्वाधिक संख्या में 68000 सैनिक अमेरिका से हैं. वर्ष 2014 के आखिर तक लगभग सभी अंतरराष्ट्रीय सैनिकों द्वारा अफगानिस्तान से बाहर चले जाना है तथा बहुत थोड़ी संख्या में सुरक्षा बलों द्वारा अफगानिस्तान के सैनिकों को प्रशिक्षण एवं सलाह देने हेतु रुका जाना है.
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