भारत और चीन ने अपने सीमा विवाद मुद्दे का निष्पक्ष और तर्कसंगत हल खोजने का निर्णय किया. भारत और चीन के मध्य बीजिंग में 29 जून 2013 को सम्पन्न 16वें दौर की सीमा वार्ता के दौरान मुख्य ध्यान वर्ष 2013 में लद्दाख क्षेत्र में हुई घुसपैठ की घटनाओं से बचने के लिए प्रस्तावित सीमा रक्षा सहयोग समझौते (बीडीसीए) पर रहा.
सीमा वार्ता हेतु दोनों देशों के विशेष प्रतिनिधियों भारत के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार शिवशंकर मेनन और चीन के यांग जेइची के मध्य सम्पन्न हुई सीमा वार्ता में यह निर्णय लिया गया.
16वें दौर की सीमा वार्ता के मुख्य बिंदु
• 16वें दौर की सीमा वार्ता के दौरान मुख्य ध्यान प्रस्तावित सीमा रक्षा सहयोग समझौते (बीडीसीए) पर रहा.
• भारत-चीन की सीमा पर शांति और स्थिरता बनाए रखने के संबंध में बातचीत की गई.
• दोनों देशों ने विश्वास बढ़ाने के अन्य संभावित अतिरिक्त कदमों के संबंध में भी चर्चा की.
• भारत और चीन के मध्य विमर्श और समन्वय की मौजूदा प्रक्रिया और दोनों पक्षों के बीच बातचीत की दक्षता को बढ़ाने के तरीकों को मजबूत बनाने के संबंध में भी चर्चा हुई.
• दोनों पक्ष सीमा विवाद मामले में मौजूदा प्रक्रिया को पूरा अवसर देने और मुद्दे के सुलझने से पहले सीमावर्ती इलाकों में शांति और स्थिरता बनाए रखने पर राजी हो गए हैं.
• वार्ता के दौरान शिवशंकर मेनन और यांग जेइची ने द्विपक्षीय संबंधों और परस्पर चिंताओं के अंतरराष्ट्रीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर गंभीरता से एक-दूसरे से अपने विचार साझा किए.
• दोनों पक्षों ने परस्पर हित के क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा की.
• दोनों पक्षों का मानना है कि चीन-भारत के संबंधों का विकास दोनों देशों, क्षेत्र और विस्तृत रूप से विश्व के हित में है.
• दोनों देश उच्चस्तरीय संपर्क को बनाए रखने, परस्पर हितों को बढ़ाने, व्यावहारिक सहयोग को बढ़ाने, सांस्कृतिक और लोगों के बीच आपसी संपर्क को बेहतर बनाने तथा भविष्य में द्विपक्षीय संबंधों को और आगे ले लाने पर भी सहमत हुए.
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