राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश- 2013 पर 5 जुलाई 2013 को हस्ताक्षर किया. इसी के साथ ही राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश- 2013 एक क़ानून बन गया. केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा विधेयक पर अध्यादेश के प्रस्ताव को 3 जुलाई 2013 को मंजूरी प्रदान की थी.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश- 2013 के मुख्य बिंदु
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश -2013 के द्वारा जनता को खाद्य पोषण और पोषण सुरक्षा सुनिश्चित की जा रही है इसके जरिए लोगों को काफी मात्रा में अनाज वाजिब दरों पर पाने का अधिकार मिला. राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश -2013 का विशेष बल गरीब से गरीब व्यक्ति, महिलाओं और बच्चों की जरूरतें पूरी करने पर है. लोगों (लाभार्थी) को अनाज नहीं मिल पाने पर उन्हें खाद्य सुरक्षा भत्ता देने का प्रावधान है. इसमें शिकायत निवारण तंत्र की भी व्यवस्था है. यदि कोई जन सेवक या अधिकृत व्यक्ति इसका अनुपालन नहीं कर रहा है तो उसके खिलाफ शिकायत करने का प्रावधान है.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश -2013 की अन्य प्रमुख बातें निम्नलिखित हैं:
• देश की 70 प्रतिशत ग्रामीण आबादी और 50 प्रतिशत शहरी जनसंख्या को हर महीने सब्सिडी वाली दरों पर अर्थात तीन रूपये, दो रूपये, एक रूपये प्रति किलो चावल, गेहूं और मोटा अनाज पाने का अधिकार.
• प्रतिव्यक्ति प्रतिमाह कुल 5 किलोग्राम अनाज देने का प्रावधान. जिसकी दर (देय दर) चावल तीन रूपये प्रतिकिलो, गेहूं दो रूपये, मोटा अनाज एक रूपये प्रति किलोग्राम है.
• प्रस्तावित पात्रता के अनुसार वित्तवर्ष 2013-14 के लिए कुल अनुमानित वार्षिक खाद्यान्न आवश्यकता 612.3 लाख टन है और इसकी लागत लगभग 124724 करोड़ रूपये होने का अनुमान.
• इससे हमारी 1.2 अरब आबादी के दो तिहाई भाग को लक्षित सार्वजनिक वितरण व्यवस्था (टीपीडीएस) के अंतर्गत सब्सिडी वाला अनाज पाने का हक .
• अंत्योदय अन्न योजना के अंतर्गत समाज के अति गरीब वर्ग के हर परिवार को हर महीने तीन रूपये, दो रूपये, एक रूपये की दरों पर सब्सिडी वाले अनाज की आपूर्ति जारी.
• राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों को मौजूदा दर पर अनाज की आपूर्ति तब तक होती रहेगी जब तक पिछले तीन वर्षों तक उनकी औसत उठान इससे कम न हो. औसत उठान कम होने पर इसे कम करने का प्रावधान.
• अखिल भारतीय स्तर की शहरी आबादी के 50 प्रतिशत और ग्रामीण जनसंख्या के 75 प्रतिशत को इसके अंतर्गत लाभान्वित करने का फैसला केंद्र सरकार द्वारा किया गया है. इस मामले में पात्र परिवारों की पहचान की जिम्मेदारी राज्यों/केंद्र शासित प्रदशों पर छोड़ दी गई है. इसके लिए राज्य और केंद्र शासित प्रदेश चाहें तो सामाजिक आर्थिक और जाति जनगणना के आँकड़ों के आधार पर मापदंड बना सकते हैं.
• राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश- 2013 में महिलाओं और बच्चों के पोषण संबंधी समर्थन पर विशेष बल. गर्भवती महिलाओं और दूध पिलाने वाली माताएं निर्धारित पोषण संबंधी मापदंडों के अनुरूप पोषक भेाजन पाने की हकदार. उन्हें कम से कम 6 हजार रुपये मातृत्व लाभ का आधिकार.
• 6 महीने से 14 वर्ष तक की आयु वर्ग तक के बच्चे घर पर राशन पाने अथवा पोषण संबंधी मापदंडों के आधार पर गर्म पका भोजन पाने के हकदार.
• केंद्र सरकार राज्यों /संघ शासित प्रदेशों को निधियां प्रदान करेंगी जिसे वे अनाज की आपूर्ति कम होने पर इस्तेमाल कर सकेंगे. अगर अनाज की आपूर्ति बिल्कुल नहीं की जाती तो ये व्यक्ति भोजन पाने के हकदार होंगे और संबंधित राज्य/संघ शासित सरकार को उन्हें ऐसा खाद्य सुरक्षा भत्ता देना होगा जैसा कि केंद्र सरकार लाभार्थियों के लिए निर्धारित करे.
• अतिरिक्त वित्तीय बोझ के संबंध में राज्यों की चिंता को दूर करने के लिए केंद्र सरकार खाद्यान्नों की राज्य से बाहर ढुलाई और रख-रखाव तथा उचित दर दुकानदारों के मुनाफे के बारे में राज्यों को सहायता उपलब्ध कराने का प्रावधान. जिसके लिए मानक विकसित किये जाएंगे. इससे खाद्यान्नों की समय पर ढुलाई और प्रभावी रख-रखाव सुनिश्चित हो जाएगा.
• राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश- 2013 में खाद्यान्नों की घर-घर तक आपूर्ति, कंप्यूटरीकरण सहित सूचना एवं संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) का अनुप्रयोग, लाभार्थियों की विशिष्ट पहचान के लिए आधार का लाभ खाद्य सुरक्षा अधिनियम के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए टीपीडीएस आदि के अधीन उपभोक्ता वस्तुमओं की विविधता को सार्वजनिक वित्तरण प्रणाली में सुधार लाने के प्रावधान.
• 18 वर्ष या उससे अधिक आयु की महिला राशन कार्ड जारी करने के लिए घर की मुखिया. ऐसा न होने की दशा में सबसे बड़ा पुरूष सदस्य घर का मुखिया होगा.
• राज्य और जिला स्तर पर शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने का प्रावधान. जिसमें नियत अधिकारी तैनात किए जाएंगे. राज्यों को नए निवारण तंत्र की स्थापना पर होने वाले व्यय को बचाने के लिए अगर वे चाहें तो जिला शिकायत निवारण अधिकारी (डीजीआरओ), राज्य खाद्य आयोग के लिए वर्तमान तंत्र को प्रयोग करने की अनुमति होगी. निवारण तंत्र में कॉल सेंटर, हेल्प- लाइन आदि भी शामिल किये जा सकते हैं.
• पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए सार्वजनिक वितरण प्रणाली से संबंधित रिकॉर्ड सार्वजनिक करने के लिए सामाजिक लेखा परीक्षा और सतर्कता समितियां स्थापित करने के प्रावधान.
• जिला शिकायत निवारण अधिकारी द्वारा सिफारिश की गई राहत का अनुपालन करने में असफल रहने के दोषी पाये जाने पर जनसेवक या नियत अधिकारी पर जुर्माना लगाने का प्रावधान.
विश्लेषण
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश- 2013 के तहत प्रतिमाह प्रतिव्यक्ति को मात्र पांच किलो अनाज दिया जाना है. इससे गरीबी रेखा से नीचे वाले उन परिवारों को (जिनके परिवार में 6 या इससे कम सदस्य हैं) जिन्हें अंत्योदय योजना के तहत प्रतिमाह 35 किलोग्राम अनाज मिलता है. उनके लिए राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश- 2013 कैसे लाभ पहुंचाएगा? यह विचारणीय प्रश्न है.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश- 2013 को केवल अनाजों तक ही सीमित रखा गया है. इसमें दालों और खाद्य तेलों आदि को शामिल नहीं किया गया. इससे निर्धारित पोषकता मानकों के तहत पौष्टिक भोजन का अधिकार देने का उद्देश्य अधूरा रह जाएगा.
राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अध्यादेश- 2013 के तहत अतिरिक्त सस्ती दरों पर खाद्यान्न मिलने से किसानों विशेष तौर पर छोटे और मझौले किसानों, की सीमित आमदनी पर बोझ कम होगा और वह अपनी बचाई हुई रकम को अन्य आवश्यकताओं पर खर्च कर अपने जीवनस्तर में सुधार कर सकेंगे.
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