नीति आयोग ने 5 सितम्बर 2017 को राष्ट्रीय पोषण रणनीति जारी किया. नीति आयोग ने मानवीय विकास, गरीबी में कमी तथा आर्थिक विकास के लिहाज से पोषण को महत्वपूर्ण करार देते हुए राष्ट्रीय पोषण रणनीति में इसे ऊपर रखने का सुझाव दिया है.
इस योजना का लक्ष्य राष्ट्रीय विकास कार्यसूची में शामिल करना है. नीति आयोग ने कहा कि हमारे पोषण उद्देश्यों को प्राप्त करने हेतु इस योजना में कार्यान्वयनकर्ताओं और चिकित्सकों के बीच प्रभावी क्रियान्वयन के लिए एक रोडमैप तैयार किया गया है.
नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने कहा कि रणनीति बहुत महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा की भारत में तीन बच्चों में से एक कुपोषित है. इस रणनीति दस्तावेज को जारी करते हुए, हरित क्रांति के जनक और प्रसिद्ध कृषि वैज्ञानिक एम.एस. स्वामीनाथन ने कहा की जीवन-चक्र दृष्टिकोण के आधार पर एक पोषण रणनीति होना जरूरी है, जो जन्म से मृत्यु तक पोषण की जरूरतों को ध्यान में रखे.
नीति आयोग के अनुसार तीन प्रकार की पोषण की कमी के बारे में बताया गया है, जिसमें पोषण, कुपोषण और प्रोटीन की भूख शामिल है. इस रिपोर्ट में देश में अल्प-पोषण की समस्या के समाधान के लिये एक मसौदे पर जोर दिया गया है.
नीति आयोग ने कहा कि पोषण रणनीति में एक ढांचे की परिकल्पना की गई है. इसके तहत पोषक के चार निर्धारक तत्वों स्वास्थ्य सेवाओं, खाद्य पदार्थ, पेय जल और साफ-सफाई तथा आय एवं आजीविका में सुधार पर बल दिया गया है.
पोषण रणनीति मसौदे में कुपोषण मुक्त भारत पर जोर दिया गया है जो स्वच्छ भारत और स्वस्थ भारत से जुड़ा है. नीति आयोग ने भारत को वर्ष 2022 तक कुपोषण मुक्त बनाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय पोषण रणनीति जारी की.
पृष्ठभूमि:
भारत में हर साल कुपोषण के कारण मरने वाले पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों की संख्या दस लाख से भी ज्यादा है. कुपोषण आज के समय में अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के लिये चिंता का विषय बन गया है. भारत में कुपोषण का दर लगभग 55 प्रतिशत है. भारत के भविष्य के लिए है क्योंकि कुपोषण से मुक्ति के बैगर आर्थिक विकास का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता है.

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