भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 29 जुलाई 2013 को वर्तमान वित्त वर्ष 2013-14 के लिए पहली तिमाही की समष्टि-आर्थिक और मौद्रिक गतिविधियों की समीक्षा जारी की. आरबीआई ने प्रमुख आर्थिक दरों जैसे बैंकों के लिए नकद आरक्षी अनुपात (सीआरआर, Cash Reserve Ratio, CRR) को यथावत 4 फीसदी रखा. साथ ही, आरबीआई ने तरलता समायोजन सुविधा के तहत रिपो रेट को भी 7.25 फीसदी तथा रिवर्स रेपो रेट को 6.25 फीसदी बरकरार रखा.
हालांकि आरबीआई ने वित्त वर्ष 2013-14 के लिए पहली तिमाही की समष्टि-आर्थिक और मौद्रिक गतिविधियों की समीक्षा में वर्ष 2013-14 के लिए आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 5.6 फीसदी से घटाकर 5.0 फीसदी कर दिया.
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही की समीक्षा में आरबीआई ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था को अधिकतम खतरा बाहरी क्षेत्रों से हैं जिसके परिणामस्वरूप मौद्रिक नीति का उद्देश्य इन खतरों से अर्थव्यवस्था को बचाना है.
वित्त वर्ष 2013-14 की पहली तिमाही की समष्टि-आर्थिक और मौद्रिक गतिविधियों की समीक्षा के बिंदु
• आर्थिक विकास दर के निम्न रहने की संभावना है.
• थोक मूल्य सूचकांकों पर आधारित मुद्रास्फीति में सुधार हुआ और यह 5 फीसदी के नीचे पहुंच गयी.
• वर्ष 2013-14 के लिए आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान 5.6 फीसदी से घटकर 5.0 फीसदी.
• आरबीआई द्वारा मुद्रा विनिमय की अस्थिरता को काबू करने के लिए उठाये गये उपया तभी कारगर होंगे जबकि चालू घाटा कम करने तथा बचत व निवेश बढ़ाने के संरचनात्मक सुधार अपनाये जाएं.
• इस वर्ष मानसून काफी प्रोत्साहक है और कृषि वृद्धि के बढ़ने की संभावना है।
• औद्योगिक वृद्धि निम्न रही है और आपूर्ति पक्ष की खामियां औद्योगिक विकास के लिए बाधाएं पैदा कर रही हैं.
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