भारत और स्वीडन ने दोनों देशों के मध्य आय और पूंजी पर लगने वाले करों के संदर्भ में दोहरे कराधान से बचने और वित्तीय अपवंचन को रोकने के लिए हुए संधि-पत्र में संशोधन करने का समझौता किया. दोनों देशों ने संशोधन के लिए समझौता-पत्र पर स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में 7 फरवरी 2013 को हस्ताक्षर किए. इस समझौते पर हस्ताक्षर भारत की ओर से स्वीडन और लातीविया में भारत की राजदूत बनाश्री बोस हैरिसन और स्वीडन के वित्तमंत्री आंडर्स बोर्ग ने किए.
इस समझौते पर हस्ताक्षर करने के साथ ही भारत और स्वीडन के मध्य मौजूदा डीटीएसी में सूचनाओं के आदान-प्रदान संबंधित धारा हट गई, और बैंक से संबंधित सूचनाओं के साथ-साथ बिना घरेलू हित के सूचनाओं का भी आदान-प्रदान होना संभव हो गया. इससे अब गैर-कर उद्देश्यों के लिए भी सूचनाओं का इस्तेमाल हो सकेगा बशर्ते आपूर्तिकर्ता राज्यों की मंजूरी के बाद दोनों देश के घरेलू कानून इसकी मंजूरी दें.
डीटीएसी को लेकर समझौते के तहत जुड़ी नयी धारा से दोनों देश एक देश से दूसरे देश में अधिकारियों के आवागमन को मंजूरी देकर विदेश में कर परीक्षा संपन्न कराने में एक-दूसरे की मदद कर सकेंगे.
विदित हो कि भारत और स्वीडन की सरकार ने आय और पूंजी पर लगने वाले करों के संदर्भ में दोहरे कराधान से बचने और वित्तीय अपवंचन (डीटीएसी) को रोकने के लिए 24 जून 1997 को ही संधि-पत्र पर हस्ताक्षर किया था. अप्रैल 2011 में भारत और स्वीडन ने सूचनाओं के आदान-प्रदान को अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुरूप करने और विदेशों में कर से संबंधित परीक्षा को शामिल करने हेतु डीटीएसी समझौते में एक धारा जोड़ने के लिए डीटीएसी की धारा 27 में संशोधन करने का समझौता किया था.
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