उचित मुआवज़ा और भूमि अधिग्रहण, पुनर्वास एवं पुनर्स्थापन में पारदर्शिता का अधिकार विधेयक, 2012 को लोकसभा में कुछ संशोधनों के साथ 29 अगस्त 2013 को पारित किया गया. ग्रामीण विकास मंत्री जयराम रमेश ने विधेयक लोकसभा में पेश किया. विधेयक के पक्ष में 216 जबकि विपक्ष में 19 सांसदों ने वोट डाले.
विधेयक में 381 संशोधन पेश किए गए जिसमें से 166 आधिकारिक रूप से दर्ज किए गए. विपक्ष द्वारा दिए गए संशोधनों में से कुछ वापस ले लिए गए और कुछ मतदान के दौरान गिर गए. अब इस विधेयक को राज्यसभा में पेश किया जाना है.
विधेयक का उद्देश्य
इसका उद्देश्य भूमि अधिग्रहण हेतु नए नियम और मुआवज़ा नीति निर्धारित करना है. वर्तमान देश में जमीन अधिग्रहण वर्ष 1894 में बने कानून के तहत होता है. मौजूदा वक्त के हिसाब से इस कानून में कई कमियां हैं. इसमें जमीन के अधिग्रहण के बाद प्रभावितों के पुनर्वास और पुनर्स्थापन को लेकर कोई व्यवस्था नहीं है.
विधेयक के मुख्य बिंदु
विधेयक के प्रावधानों के तहत किसानों की शिकायतों के निपटारे के लिए एक भूमि अपील प्राधिकरण का गठन किए जाने का प्रस्ताव है. इसमें जिन किसानों की भूमि का अधिग्रहण किया गया है और उन्हें पर्याप्त हर्जाना नहीं मिला है, ऐसे किसान अपनी शिकायतों का निपटारा करा सकेंगे. यदि किसान अपील प्राधिकरण के फैसले से संतुष्ट नहीं है तो उन्हें उच्च न्यायालय जाने का भी अधिकार होना है.
इसमें बहुफसल खेती वाली जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जाना है और यदि इसकी आवश्यकता भी हुई तो संबंधित राज्य सरकारों द्वारा इस संबंध में निर्णय लिया जाना है. विधेयक में बहुफसली और सिंचित जमीन के अधिग्रहण के बारे में विशेष प्रावधान हैं.
• विधेयक में उचित हर्जाना और पारदर्शिता के अधिकार के लिए सार्वजनिक निजी भागीदारी परियोजनाओं के वास्ते भूमि अधिग्रहण हेतु 70 प्रतिशत जबकि निजी कंपनियों द्वारा भूमि अधिग्रहण के लिए 80 प्रतिशत सहमति लेना आवश्यक होना है.
• विधेयक में किसानों के लिए उचित और न्यायसंगत हर्जाना देने और कोई भी जमीन बलपूर्वक अधिग्रहित नहीं किए जाने का प्रस्ताव है.
• प्रस्तावित हर्जाने में ग्रामीण क्षेत्रों में बाजार मूल्य का चार गुना जबकि शहरी क्षेत्रों में बाजार मूल्य के दोगुने तक का हर्जाना दिए जाने का प्रस्ताव है
• प्रस्तावित हर्जाने में ग्रामीण क्षेत्रों में बाजार मूल्य का चार गुना जबकि शहरी क्षेत्रों में बाजार मूल्य के दोगुने तक का हर्जाना दिए जाने का प्रस्ताव है.
• इस कानून में अधिग्रहण के कारण जीविका खोने वालों को 12 महीने के लिए प्रति परिवार तीन हज़ार रुपये प्रति माह जीवन निर्वाह भत्ता दिए जाने का प्रावधान है.
• पचास हजार का पुनर्स्थापना भत्ता, प्रभावित परिवार को ग्रामीण क्षेत्र में 150 वर्ग मीटर में मकान, शहरी क्षेत्रों में 50 वर्गमीटर ज़मीन पर बना बनाया मकान दिए जाने का प्रावधान भी इस कानून में किया गया.
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