भारतीय रिजर्व बैंक ने पिछले छह हफ्तों में डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत को रोकने के लिए 15 जुलाई 2013 को कई ठोस कदम उठाये. इनमे बैंकों के लिए ऋण की दरें बढ़ाने का कदम काफी महत्वपूर्ण है जिसके अनुसार बैंकों को मार्जिनल स्टैंडिंग फेसिलिटी (एमएसएफ, Marginal Standing Facility, MSF) के तहत दिये जाने वाले ऋण की दर को 8.25 फीसदी से बढ़ाकर 10.25 फीसदी कर दी गयी.
विदित हो कि एमएसएफ के तहत विभिन्न बैंक नकदी की समस्या को सुलझाने के लिए सामान्य से ऊंची ब्याज दरों पर रिजर्व बैंक से कर्ज ले सकते हैं. इस कदम से डॉलर के मुकाबले रुपये की गिरती कीमत पर अल्पकालीन लगाम लगेगी लेकिन धीरे-धीरे इससे बैंकों के पूंजी लागत बढ़ेगी और वे अपने वैयक्तिक एवं कंपनी ग्राहकों दोनो के लिए ऋण को महंगा करेंगे.
प्रधामंत्री एवं वित्त मंत्री के साथ हुई उच्चस्तरीय बैठक के बाद इन उपायों पर निर्णय लिये गये.
रिजर्व बैंक ने भारतीय मुद्रा की साख को बचाने के लिए अन्य महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए 18 जुलाई 2013 से एक खरब 20 अरब मूल्य की भारत सरकार की प्रतिभूतियों (Government of India Securities) को भी बेचने (Open Market Sale, OMO) का भी फैसला लिया.
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