भारतीय संसद पर 13 दिसंबर 2001 को हुए हमले के लिए दोषी अफजल गुरु को दिल्ली के तिहाड़ जेल में 9 फरवरी 2013 को सुबह 8 बजे फांसी दे दी गई. उसे जेल में ही दफना दिया गया. केंद्रीय गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने अफजल गुरु को फांसी दिए जाने की पुष्टि की. अफजल गुरु को तिहाड़ जेल में जेल नंबर तीन में उच्च सुरक्षा (हाई सिक्युरिटी) वार्ड में रखा गया था.
सर्वोच्च न्यायालय ने अफजल गुरु को वर्ष 2004 में फांसी की सजा सुनाई थी. वर्ष 2006 में उसे दी जाने वाली फांसी उस समय स्थगित हो गई, जब उसकी पत्नी ने उसकी ओर से दया याचिका दायर कर दी. राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने 3 फरवरी 2013 को अफजल गुरु की दया याचिका खारिज कर दी थी.
विदित हो कि 13 दिसंबर 2001 को भारी हथियारों से लैस पांच आतंकवादियों ने भारतीय संसद के परिसर में घुस गए और अंधाधुंध गोलीबारी कर नौ लोगों को मार डाला. मरने वालों में दिल्ली पुलिस के पांच कर्मी, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की एक महिला कर्मचारी, संसद के वाच एंड वार्ड स्टाफ के दो कर्मी और एक माली शामिल था. हमले में घायल एक पत्रकार की बाद में मौत हो गई थी. पांचों आतंकवादियों को भी मार गिराया गया था. अफजल गुरु को हमले के कुछ घंटे के भीतर ही राष्ट्रीय राजधानी में एक बस से गिरफ्तार कर लिया गया था.
26/11 को मुंबई में आतंकवादी कार्यवाही के एकमात्र जीवित अभियुक्त अजमल कसाब को येरवदा जेल में 21 नवम्बर 2012 को फांसी दी गई थी.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 72 में राष्ट्रपति को क्षमादान की शक्ति है.
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