नोबेल पुरस्कार समिति ने 6 अक्टूबर 2015 को वर्ष 2015 के लिए भौतिकी के नोबल पुरस्कार की घोषणा की.
जापान के तकाकी कजीता और अमेरिका के आर्थर बी मैकडोनाल्ड को न्यूट्रीनो के कंपन की खोज के लिए, जो यह दर्शाता है कि न्यूट्रिनो में द्रव्यमान होता है, संयुक्त रूप से वर्ष 2015 के भौतिकी के नोबेल पुरस्कार के लिए चुना गया.
तकाकी कजीता टोक्यो विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और इंस्टीट्यूट फॉर कॉस्मिक रे रिसर्च के निदेशक हैं. हैं, जबकि मैकडॉनल्ड्स क्वीन विश्वविद्यालय, कनाडा में प्रोफेसर एमेरिटस हैं.
भौतिकी के नोबेल के लिए चुने गए दोनों वैज्ञानिक 80 लाख स्वीडिश क्रोनर (करीब 960,000 अमेरिकी डॉलर) आपस में साझा करेंगे. प्रत्येक विजेता को 10 दिसंबर 2015 को आयोजित किए जाने वाले वार्षिक पुरस्कार समारोह में एक डिप्लोमा और एक स्वर्ण पदक से सम्मानित किया जाएगा.
न्यूट्रिनो के कंपन की खोज
तकाकी ने अपनी खोज में बताया है कि वातावरण में न्यूट्रीनो जापान के सुपर-कामियोकांडे डिटेक्टर के रास्ते में अपनी पहचान में परिवर्तन लाते हैं.
इसी बीच, मैकडोनाल्ड के नेतृत्व में कनाडा के शोध समूह ने दर्शाया कि सूर्य से पृथ्वी पर आते समय न्यूट्रीनो गायब नहीं होते, बल्कि वे किसी और कण में परिवर्तित हो जाते हैं.
इस प्रयोग से यह साबित हो गया कि न्यूट्रीनोज सूर्य से धरती की यात्रा के दौरान एक प्रकार से दूसरे प्रकार में बदलते रहते हैं. इससे यह मान्यता कमजोर होती है कि वे द्रव्यमानविहीन होते हैं. इस खोज ने पदार्थ की आंतरिक कार्यप्रणाली को लेकर हमारी समझ को बदला है और ब्रह्मांड के इतिहास, ढांचे और भविष्य को प्रभावित किया है.
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