केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (सीएसओ) ने वित्तवर्ष 2012-13 में देश की आर्थिक विकास दर (GDP) घटकर 5 प्रतिशत रहने का अनुमान व्यक्त किया. यह पिछले एक दशक (वित्तवर्ष 2002-03) की सबसे कम विकास दर है. वित्तवर्ष 2002-03 में जीडीपी वृद्धि दर 4 प्रतिशत रही थी. इसके बाद से भारतीय अर्थव्यवस्था 6 प्रतिशत से ऊपर की वृद्धि दर से बढ़ती रही है. इसमें सबसे अधिक 9.6 प्रतिशत की वृद्धि दर 2006-07 में दर्ज की गई थी. सीएसओ ने यह रिपोर्ट 7 फरवरी 2013 को जारी किया.
सीएसओ द्वारा जारी अनुमानित विकास दर भारत सरकार व भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा जारी अनुमानित दर से भी कम है. भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने अपनी तीसरी तिमाही मौद्रिक नीति समीक्षा में वित्तवर्ष 2012-13 के लिए 5.5 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान व्यक्त किया. अपनी मध्य वर्षीय आर्थिक समीक्षा में भारत सरकार ने भी वृद्धि दर 5.7 से 5.9 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान जताया था.
पूरे वित्तवर्ष 2012-13 के लिए 5 प्रतिशत की वृद्धि दर का नवीनतम अनुमान का अर्थ है कि 2012-13 की दूसरी छमाही में आर्थिक वृद्धि की गति और मंद पड़ गई है.
केंद्रीय सांख्यिकी संगठन (Central Statistics Office) की रिपोर्ट में वित्तवर्ष 2012-13 में कृषि व अन्य सहयोगी गतिविधियों की विकास दर घटकर 1.8 प्रतिशत रहने अनुमान व्यक्त किया गया जो कि वित्तवर्ष 2011-12 में 3.6 प्रतिशत थी.
विनिर्माण क्षेत्र की विकास दर भी घटकर 1.9 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जो कि वित्तवर्ष 2011-12 में यह 2.7 प्रतिशत थी.
सेवा क्षेत्र (वित्त, बीमा, रियल एस्टेट, व्यवसाय सेवा आदि) की विकास दर भी कम होकर 8.6 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है जो की वित्तवर्ष 2011-12 में यह दर 11.7 प्रतिशत रही थी.
विद्युत, गैस व जल उत्पाद की विकास दर भी घटकर 4.9 प्रतिशत रहना अनुमानित है, जोकि गतवर्ष 6.5 प्रतिशत थी.
व्यापार, होटल, यातायात व संचार क्षेत्र की विकास दर वित्तवर्ष 2012-13 में 5.2 प्रतिशत रहना संभावित है, जो कि वर्ष 2011-12 में यह दर 7 प्रतिशत थी.
यद्यपि खनन और उत्खनन क्षेत्र की वृद्धि दर थोड़ा बेहतर 0.4 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि वित्तवर्ष 2011-12 में इसमें 0.6 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी. निर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर भी थोड़ा सुधरकर 5.9 प्रतिशत रहने की संभावना है, जो वित्तवर्ष 2011-12 में 5.6 प्रतिशत थी.
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