
सुप्रीम कोर्ट ने 14 फरवरी 2017 को कहा कि राष्ट्रगान यदि किसी फिल्म अथवा डॉक्युमेंट्री का हिस्सा हो तो हॉल में बैठे दर्शकों को खड़े होने की आवश्यकता नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केवल फिल्म आरंभ होने के शुरुआत में बजने वाले राष्ट्रगान पर खड़े होना आवश्यक है. सुप्रीम कोर्ट ने अपने अंतरिम आदेश पर रोक लगाने से इनकार कर दिया. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रगान पर खड़े होने संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए यह निर्णय लिया.
मामले की सुनवाई के दौरान अटॉर्नी जनरल मुकुल रोहतगी ने कहा, यह देश के नागरिकों को देशभक्ति की भावना दिखाने का अवसर है. यदि इस संबंध में कोई क़ानून न हो तो ऐसे में सुप्रीम कोर्ट का कार्य काफी महत्वपूर्ण हो जाता है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि सिनेमाघरों के अतिरिक्त राष्ट्रगान सभी स्कूलों में भी अनिवार्य किया जाना चाहिए. इस मामले की अगली सुनवाई 18 अप्रैल को होगी.
श्याम नारायण चौकसे द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि किसी भी व्यावसायिक गतिविधि के लिए राष्ट्रगान के चलन पर रोक लगाई जाए तथा मनोरंजन कार्यक्रम में ड्रामा करने के लिए राष्ट्रगान का इस्तेमाल न किया जाए. याचिका में यह भी कहा गया था कि एक बार शुरू होने पर राष्ट्रगान को अंत तक गाया जाना चाहिए, और बीच में बंद नहीं किया जाना चाहिए.
पृष्ठभूमि
30 नवंबर 2016 को सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्रगान से जुड़ी याचिका की सुनवाई करते हुए यह अंतरिम आदेश जारी किया था कि देश भर के सभी सिनेमाघरों में फिल्म आरंभ होने से पहले राष्ट्रगान बजाया जाएगा. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि राष्ट्रगान बजते समय सिनेमाहॉल के पर्दे पर राष्ट्रीय ध्वज दिखाया जाना अनिवार्य होगा तथा सिनेमाघर में मौजूद सभी लोगों को राष्ट्रगान के सम्मान में खड़ा होना होगा.

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