प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 10 नवंबर 2017 को राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम को जारी रखने और इसे निर्णायक, प्रतिस्पर्धी और ग्रामीण लोगों को अच्छी गुणवत्तापूर्ण जल की आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए योजनाओं पर निर्भरता (कार्यशीलता) पर ज्यादा जोर देते हुए बेहतर निगरानी के साथ योजना जारी रखने को अपनी मंजूरी प्रदान की.
चतुर्थ वित्तीय आयोग (एफएफसी) अवधि 2017-18 से 2019-20 के लिए इस कार्यक्रम के लिए 23,050 करोड़ रूपए की राशि मंजूर की गयी है. यह कार्यक्रम देश भर की सारी ग्रामीण जनसंख्या, को कवर करेगा. पुन: संरचना से यह कार्यक्रम लोचदार, परिणामोन्नमुख, प्रतिस्पर्धी बन सकेगा और इससे मंत्रालय सतत पाइप के जारिए पानी की आपूर्ति बढ़ाने के लक्ष्य को प्राप्त कर पाएगा.
निर्णय का ब्यौरा निम्नानुसार है:
• राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्यूलपी) चतुर्थ वित्त आयोग चक्र मार्च 2020 के अनुरूप जारी रखा जाएगा.
• राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्यूलपी) की पुन:संरचना के फलस्वरूप जापानी एनसीफलाइटीस (जेई)/ एक्यूआट एंसेफलाइटीस सिंड्रोम (एईस) प्रभावित क्षेत्रों के लिए दो प्रतिशत धन की व्यवस्था रखी जाएगी.
• राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्यूपी) के अंतर्गत एक उप-कार्यक्रम अर्थात् राष्ट्रीय जल गुणवत्ता उप-मिशन, जिसे फरवरी, 2017 में पेयजल एवं स्वच्छता मंत्रालय द्वारा प्रारंभ किया गया था, के चलते करीब 28 हजार आरसेनिक और फ्लोराइड प्रभावित लोगों को (पूर्व चयनित) स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने की तत्काल जरूरत को पूरा किया जा सकेगा. अनुमानों के अनुसार चार वर्षों अर्थात मार्च 2021 तक करीब 12,500 करोड़ रूपये की राशि की केंद्रीय अंश के रूप में आवश्यकता होगी. इसे राष्ट्रीय ग्रामीण पेयजल कार्यक्रम (एनआरडीडब्यू्पी) के अंतर्गत आवंटन से वित्त-पोषित किया जा रहा है.
• सहमति वाली योजनाओं के लिए इस राशि की दूसरी किस्त की आधी सीमा तक राज्य सरकारों द्वारा पूर्व वित्त पोषण के लिए उपलब्ध कराया जाएगा, जिसे बाद में केंद्रीय वित्त पोषण से उनको प्रति-पूर्ति की जाएगी. यदि राज्य वित्तीय वर्ष में 30 नवंबर से पूर्व इस राशि का दावा करने में विफल रहते हैं तो ये निधियां सामान्य पूल का हिस्सा बन जायेंगी जो उच्च कार्य निष्पादक राज्यों को जारी की जाएगी जिन्होंने पहले आओ-पहले पाओ के आधार पर भारत सरकार को पहले से पूर्व वित्त पोषित कर दिया है.
• निधियों की दूसरी किस्त की अन्य आधी राशि पाइप के जरिए जल की आपूर्ति के कार्यकरण के पूरा हो जाने के आधार पर राज्यों को जारी की जाएगी जिसका मूल्यांकन किसी तृतीय पक्ष के माध्यम से किया जाएगा.
मंत्रिमंडल ने एफएफसी अवधि 2017-18 से 2019-2020 के लिए इस कार्यक्रम हेतु 23050 करोड राशि मंजूरी की है.
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