डिफेंस मिनिस्ट्री ने आर्मी के लिए 6 अपाचे अटैक हेलिकॉप्टर खरीदने के प्रस्ताव को मंजूरी प्रदान कर दी. डिफेंस पर्चेस क्लियर करने वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद (डीएसी) की मीटिंग 17 अगस्त 2017 को दिल्ली में हुई. भारत इस एएच-64ई अपाचे हेलीकॉप्टर के साथ अमेरिका से संबद्ध उपकरण, स्पेयर पार्ट्स, प्रशिक्षण एवं गोला-बारूद भी लेगा.
बैठक की अध्यक्षता डिफेंस और फाइनेंस मिनिस्टर अरुण जेटली ने की. इन छह अपाचे जंगी हेलिकॉप्टरों की खरीद पर कुल 4,168 करोड़ का खर्च आएगा. इसके अलावा डीएसी ने यूक्रेन से दो गैस टर्बाइन सेट भी खरीदने को मंजूरी दे दी.
ये गैस टर्बाइन सेट रूस में भारत के लिए तैयार किए जा रहे दो ग्रिगोरोविच क्लास गाइडेड मिसाइल स्टील्थ फ्रिगेट पोतों के लिए खरीदे जाएंगे. इन गैस टर्बाइन सेट की कीमत 490 करोड़ रुपये होगी. गत वर्ष मोदी पुतिन मीटिंग में नेवी शिप पर फैसला हुआ था. इसका वजन चार हजार टन है.
भारत यूक्रेन से इन शिपों में लगने वाले इंजन खरीदेगा. फिर फ्रिगेट को तैयार करने हेतु इन्हें रूस भेजा जाएगा. इसकी कीमत करीब चार बिलियन डॉलर है. अपाचे में दो टर्बोसॉफ्ट इंजन लगाए गए हैं. अमेरिका इराक और अफगानिस्तान में इनका इस्तेमाल कर चुका है.
अपाचे हेलिकॉप्टर्स को अमेरिकी कंपनी बोइंग बनाती है और इन्हें दुनिया के सबसे बेहतरीन अटैक हेलिकॉप्टर माना जाता है. अपाचे हेलिकॉप्टर की विशेषता यह है कि ये रात और बेहद खराब मौसम में भी बिना किसी रुकावट या परेशानी के अपने टारगेट को हिट कर सकते हैं.
अपाचे को यूएस आर्मी के एडवांस्ड अटैक हेलीकॉप्टर प्रोग्राम के लिए डेवलप किया गया. इसने पहली उड़ान 30 सितंबर 1975 को भरी. अप्रैल 1986 में अपाचे को यूएस आर्मी में शामिल किया गया.
उस समय यह इतने तकनीकी युक्त नहीं थे, जितने अब हैं.वर्तमान में इस हेलीकॉप्टर को यूएस आर्मी के अलावा इजरायल, मिस्र और नीदरलैंड की आर्मी भी इस्तेमाल करती है.
भारत दुनिया का पांचवा ऐसा देश है, जिसके पास अपाचे हेलीकॉप्टर होंगे. इस हेलीकॉप्टर के दोनों तरफ 30 एमएम गन लगी है. इसमें फिट सेंसर दुश्मनों को आसानी से तलाश कर उन्हें खत्म कर सकता है.
इसमे नाइट विजन सिस्टम भी इंस्टॉल हैं. इसमें हेलिफायर और स्ट्रिंगर मिसाइलें लगाई गई हैं. जो बिना भटके और राडार की पकड़ में आए दुश्मन के टारगेट को हिट कर सकती हैं.
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