भारत के वरिष्ठ अन्तरिक्ष वैज्ञानिक और प्रोफेसर यू. आर. राव का 24 जुलाई 2017 को निधन हो गया. वे 85 वर्ष के थे. राव को दिल की बीमारी के कारण अस्पताल में भर्ती कराया गया था. उन्होंने देर रात 2.30 बजे अंतिम सांस ली. उनका पूरा नाम उडुपी रामचंद्रन राव था.
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने प्रो. यू. आर. राव के निधन पर दुख जताते हुए ट्विटर पर लिखा कहा कि भारत के अंतरिक्ष प्रोग्राम में राव का योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकेगा. यू वी राव भारत के अन्तरिक्ष कार्यक्रम के जनक माने जाते हैं.
उन्होंने भारत के पहले अन्तरिक्ष यान आर्यभट्ट के निर्माण में अहम भूमिका निभाई थी. अंतरिक्ष कार्यक्रमों में उनके योगदान के कारण ही उन्हें विभिन्न राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर सम्मान हासिल हुए.
यू. आर. राव के बारे में
• यू. आर. राव का जन्म कर्नाटक के अडामारू नामक स्थान पर 10 मार्च 1932 को हुआ था.
• वर्ष 1972 में उन्होंने भारत में उपग्रह प्रोदयोगिकी की स्थापना का उत्तरदायित्व ग्रहण किया.
• यू. आर. राव की देख-रेख में वर्ष 1975 में देश के पहले उपग्रह आर्यभट्ट का डिजाईन तैयार किया गया तथा उसे प्रक्षेपित किया गया. इसके बाद उन्होंने 20 से अधिक उपग्रहों को डिजाइन करने में योगदान दिया.
• उनके दिशा-निर्देश में ही भारत में प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी का भी विकास तेज हुआ जिसके परिणामस्वरूप 1992 में एएसएलवी का सफल प्रक्षेपण किया गया.
• वैज्ञानिक यूआर राव ने अन्तरिक्ष में प्रसारण, शिक्षा, मौसम विज्ञान, सुदूर संवेदी तंत्र और आपदा चेतावनी के क्षेत्रों में अंतरिक्ष तकनीक के उपयोग को बढ़ावा दिया.
• वे भौतिक विज्ञान प्रयोगशाला (अहमदाबाद) की संचालन परिषद के अध्यक्ष पद पर भी रहे.
• अंतरिक्ष विज्ञान में अहम योगदान के लिए भारत सरकार ने यू. आर राव. को वर्ष 1976 में पद्म भूषण से सम्मानित किया था.
• वैज्ञानिक यू. आर. राव को वर्ष 2017 में भारत सरकार द्वारा पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया.
• निधन से कुछ समय पूर्व तक वे तिरुवनंतपुरम में भारतीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी संस्थान के कुलपति के पद पर कार्यरत थे.
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