भारतीय संचार उपग्रह जीसैट-18 का 6 अक्टूबर 2016 को फ्रेंच गुयाना से सफल प्रक्षेपण किया गया. कोरू अन्तरिक्ष केंद्र से एरियन 5 यान द्वारा जीसैट-18 ने उड़ान भरी जिसे सफलतापूर्वक अन्तरिक्ष में स्थापित कर दिया गया.
इस मिशन में ऑस्ट्रेलिया के उपग्रह स्काई मस्टर-2 को भी सफलतापूर्वक अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया. अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के आंकड़ों के अनुसार जीसैट-18 यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी द्वारा प्रक्षेपित किया जाने वाला 20वां भारतीय उपग्रह है. साथ ही यह एरियन स्पेस का 280वां मिशन है.
जीसैट-18
भारतीय उपग्रह जीसैट-18 की अनुमानित परिचालन आयु 15 वर्ष आंकी गयी है. इसका वजन 3,404 किलोग्राम है. यह अपने साथ नॉर्मल सी बैंड, अपर एक्सटेंडेड सी बैंड और के यू बैंड में सेवा प्रदान करने के लिए 48 संचार ट्रांसपोंडर लेकर गया है.
भारतीय अनुसंधान संगठन अपने भारी उपग्रहों के लिए एरियन-5 रॉकेट पर निर्भर होना पड़ता है जिसके चलते भारतीय अंतरिक्ष संगठन द्वारा जीएसएलवी एमके-3 का निर्माण किया जा रहा है.
लाभ
जीसैट-18 भारत के लिए विभिन्न प्रयोजनों में सहायक होगा. इससे टेलीविज़न, टेलीकम्यूनिकेशन, वीसैट तथा डिजिटल सूचनाएं एकत्रित करने में सहायता मिलेगी. इस उपग्रह की सफलता के उपरांत इसरो वर्ष 2017 में जीसैट-17 और जीसैट-11 भी प्रक्षेपित करेगा.
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