दहेज उत्पीड़न मामले में सीधे गिरफ़्तारी नहीं: सुप्रीम कोर्ट

Jul 28, 2017, 11:03 IST

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए के गलत इस्तेमाल पर भी रोक लगाई गयी.

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सुप्रीम कोर्ट ने 27 जुलाई 2017 को दिए एक आदेश में कहा कि दहेज उत्पीड़न मामले में यदि रिपोर्ट होती है तो सीधे गिरफ़्तारी नहीं की जा सकती. पुलिस को गिरफ़्तारी से पहले प्राथमिक जांच अवश्य करनी चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश से भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 498ए के गलत इस्तेमाल पर भी रोक लगाई गयी. यह आदेश न्यायाधीश ए के गोयल तथा यू यू ललित की बेंच द्वारा सुनाया गया.

मुख्य बिंदु


•    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मुकदमे की सुनवाई के दौरान हर आरोपी को अदालत में उपस्थित रहना अनिवार्य नहीं होगा.

•    सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि प्रत्येक जिले में एक परिवार कल्याण समिति का गठन किया जाए.

•    यह समिति दहेज के मामलों में रिपोर्ट देगी. कोर्ट ने साफ कहा है कि समिति की रिपोर्ट आने तक आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं होनी चाहिए.

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•    सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि जिले की लीगल सर्विस अथॉरिटी यह समिति बनाए जिसमें तीन सदस्य हों.

•    समिति में कानूनी स्वयंसेवी, सामाजिक कार्यकर्ता, सेवानिवृत्त व्यक्ति को शामिल किया जा सकता है.

•    न्यायाधीश ए के गोयल और जस्टिस यू यू ललित की बेंच ने कहा कि यदि महिला जख्मी है अथवा उसकी प्रताड़ना की वजह से मौत हो जाती है तो यह केस इस गाइडलाइन के दायरे से बाहर होगा और ऐसे मामले में गिरफ्तारी पर कोई रोक नहीं होगी.

खंडपीठ ने कहा कि प्रताड़ना झेलने वाली महिलाओं को ध्यान में रखते हुए यह कानून बनाया गया था लेकिन इस कानून के तहत आजकल बड़ी संख्या में मुकदमे दर्ज किए जा रहे हैं. यह बेहद गंभीर बात है. इस स्थिति से निपटने के लिए सिविल सोसायटी को इससे जोड़ा जाना चाहिए.

भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) धारा 498ए


दहेज प्रताड़ना के खिलाफ वर्ष 1986 में आईपीसी की धारा 498 ए का प्रावधान किया गया. यदि किसी महिला को दहेज के लिए मानसिक, शारीरिक या फिर अन्य तरह से प्रताड़ित किया जाता है तो महिला की शिकायत पर इस धारा के तहत मामला दर्ज किया जाता है. इसे संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखा गया है. इसे गैर जमानती अपराध श्रेणी में रखा गया है. दहेज के लिए ससुराल में प्रताड़ित करने वाले तमाम लोगों को आरोपी बनाया जा सकता है. इस मामले में दोषी पाए जाने पर अधिकतम 3 साल तक कैद की सजा का प्रावधान है. यदि शादीशुदा महिला की मौत संदिग्ध परिस्थिति में शादी के 7 वर्ष में होती है तो पुलिस धारा 304-बी के तहत केस दर्ज कर सकती है.

 

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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