पाकिस्तान के सर्वोच्च न्यायालय ने पनामागेट मामले में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को पद के अयोग्य ठहरा दिया तथा उनके मामले को सुनवाई के लिए भ्रष्टाचार रोधी अदालत के पास भेज दिया.
सर्वोच्च न्यायालय ने सर्वसम्मति के अपने फैसले में आदेश दिया कि नवाज शरीफ के खिलाफ मामला दर्ज किया जाए तथा यह भी कहा कि शरीफ और उनके परिवार के खिलाफ मामले को जवाबदेही अदालत के पास भेजा जाए. सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी आदेश दिया कि राष्ट्रीय जवाबदेही ब्यूरो (नैब) छह महीने के भीतर मामले का निपटारा करेगा.
इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायालय ने नवाज शरीफ को पद के अयोग्य ठहरा दिया. न्यायाधीशों ने फैसला सुनाया कि प्रधानमंत्री ससंद एवं अदालतों के प्रति ईमानदार नहीं रहे और उनको पद के लिए उपयुक्त नहीं समझा जा सकता. यह फैसला उसी पांच सदस्यीय पीठ ने सुनाया जिसने इस साल जनवरी से मामले की सुनवाई की थी. पीठ में न्यायमूर्ति आसिफ सईद खोसा, न्यायमूर्ति गुलजार अहमद, न्यायमूर्ति एजाज अफजल खान, न्यायमूर्ति शेख अजमत सईद और न्यायमूर्ति एजाजुल अहसन हैं.
यह मामला 1990 के दशक में उस वक्त धनशोधन के जरिए लंदन में सपंत्तियां खरीदने से जुड़ा है जब शरीफ दो बार प्रधानमंत्री बने थे. नवाज शरीफ पहली बार वर्ष 1990 से वर्ष 1993 के बीच प्रधानमंत्री रहे. उनका दूसरा कार्यकाल वर्ष 1997 में शुरू हुआ जो वर्ष 1999 में तत्कालीन सेना प्रमुख परवेज मुशर्रफ द्वारा तख्तापलट किए जाने के बाद खत्म हो गया.
लंदन में शरीफ के परिवार की इन संपत्तियों का खुलासा वर्ष 2016 में पनामा पेपर्स लीक मामले से हुआ. इन संपत्तियों में लंदन स्थित चार महंगे फ्लैट शामिल हैं.
सर्वोच्च न्यायालय ने नवाज शरीफ और उनके परिवार के खिलाफ लगे आरोपों की जांच के लिए मई 2017 में संयुक्त जांच दल (जेआईटी) का गठन किया था. जेआईटी ने 10 जुलाई 2017 को अपनी रिपोर्ट शीर्ष अदालत को सौंपी थी.
जेआईटी ने कहा कि शरीफ और उनकी संतानों की जीवनशैली उनकी आय के ज्ञात स्रोतों से कहीं ज्यादा विस्तृत है और उसने उनके खिलाफ भ्रष्टाचार का नया मामला दर्ज करने की अनुशंसा की थी.

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