दिल्ली के राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला (एनपीएल) में वैज्ञानिकों ने बिना किसी बाहरी उर्जा का उपयोग किये बिजली बनाने में सफलता प्राप्त की. बिजली बनाने में जिन पदार्थों का उपयोग हुआ उसमें मुख्य रूप से नैनोपैरस मैग्नीशियम फेराइट, सिल्वर एवं जिंक शामिल हैं.
इस प्रक्रिया में नैनोपैरस मैग्नीशियम फेराइट द्वारा पानी को हाइड्रोनियम (एच3ओ) तथा हाइड्रोऑक्साइड (ओएच) में पृथक किया गया. सिल्वर एवं ज़िंक के उपयोग से पैदा हुए इलेक्ट्रोड सेल द्वारा बिजली बनाई जा सकी. इस टीम का नेतृत्व डॉ आरके कोटनाला द्वारा किया गया.
एक वर्ग इंच के मैग्नीशियम फेराइट का उपयोग करने वाले हाइड्रोइलेक्ट्रिक सेल द्वारा 8एमए का करंट उत्पन्न किया गया तथा 0.98 वॉल्ट की उर्जा उत्पन्न की गयी. डॉ कोटनाला के अनुसार दो इंच घनत्व वाले दो सेलों को जोड़ने पर 3.70 वॉल्ट की उर्जा उत्पन्न हो सकती है तथा इससे प्लास्टिक का एक पंखा तथा 1 वॉट का एलईडी बल्ब जलाया जा सकता है.
कार्यविधि
हाइड्रॉक्साइड के लिए मैग्नीशियम की उच्च आत्मीयता से पानी हाइड्रोनियम तथा हाइड्रोऑक्साइड आयन्स में पृथक हो जाता है. इसके बाद हाइड्रोनियम आयन्स मैग्नीशियम के नैनोपोरस में जाकर इलेक्ट्रिक फील्ड का निर्माण करते हैं तथा पानी से ही प्रतिक्रिया करते हैं. मैग्नीशियम फेराइट ऑक्सीजन की कमी वाले पदार्थों से मिलकर बनता है.
मैग्नीशियम फेराइट की प्रतिक्रिया बढ़ाने के लिए 20 प्रतिशत मैग्नीशियम को लिथियम से बदलकर बढ़ाया जा सकता है. यह सामान्य तापमान पर इलेक्ट्रॉन्स की प्रतिक्रिया के फलस्वरूप होने वाली क्रिया है.
अन्तरराष्ट्रीय उर्जा अनुसंधान पत्रिका द्वारा प्रकाशित किये गये शोध के अनुसार, दो इंच का मैग्नीशियम फेराइट 82 एमए का करंट पैदा करता है तथा 0.9 वॉल्ट का करंट उत्पन्न कर सकता है. इस शोध से पता चला कि 2 इंच का हाइड्रोइलेक्ट्रिक पदार्थ 150 एमए का करंट तथा 0.9 वॉल्ट की उर्जा उत्पन्न कर सकता है.
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