पिछले कुछ समय से भारत और चीन के बीच तल्खी बढ़ी है. इस विवाद का मुख्य कारण सिक्किम-भूटान-चीन का एक ऐसा क्षेत्र है जहां तीनों देशों की सीमाएं आपस में मिलती हैं. इस क्षेत्र को डोंगलांग क्षेत्र कहा जाता है. चूंकि यह क्षेत्र चीन के अधिकार क्षेत्र में नहीं है और वह वहां सड़क बना रहा है. इस संबंध में भारत का आपत्ति जताना चीन को नागवार गुजर रहा है.
पिछले लंबे समय से डोंगलांग क्षेत्र पर चीन और भूटान के मध्य विवाद चल रहा है. चीन इस क्षेत्र को डोंगलांग कहता है और प्राचीन काल से अपना हिस्सा बताता है. इसीलिए अपनी सेना के गश्ती दल को वहां भेजता रहता है. असल में चीन की मंशा अपने क्षेत्र के डोंगलांग से भूटान के डोका ला तक इस सड़क निर्माण से दक्षिण तिब्बत स्थित चुंबी घाटी तक अपनी क्षमता का विकास करना है.
क्या है विवाद
भारत लंबे समय से भूटान के इस क्षेत्र का संरक्षण करता रहा है जिसके चलते उसने आपत्ति दर्ज कराई. भारत ने डोका ला सेक्टर के जोम्पलरी इलाके में 04 जून को चीन द्वारा किये जा रहे सड़क निर्माण कार्य को रोक दिया जिससे बौखलाये चीनी सैनिकों ने भूटान की सीमा में स्थित भारत के दो अस्थाई बंकर गिरा दिए.
चीन डोका ला इलाके में इसे भारत की घुसपैठ बता रहा है लेकिन यह चीन की कार्रवाई के खिलाफ भूटान को बचाने के लिए भारत की कार्रवाई थी. इसके बाद चीन ने कूटनीतिक कदम उठाते हुए कैलाश मानसरोवर की तीर्थ यात्रा को रोक दिया जिससे भारत की चिंता बढ़ना स्वाभाविक है.
डोका ला क्षेत्र की अहमियत
डोका ला क्षेत्र 269 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्रफल में फैला है. यह क्षेत्र भारत, चीन और भूटान की सीमाओं के समीप है. यहां तीनों देशों की सीमाएं मिलती हैं. वर्ष 1914 की मैकमोहन रेखा के अनुसार यह इलाका भूटान में है जबकि चीन इसे नहीं मानता.
डोका ला के पठार रणनीतिक रूप से बेहद अहम हैं क्योंकि यह चुंबी घाटी से सटा हुआ है. चीन इस पठार क्षेत्र पर कब्ज़ा करके तथा यहाँ सड़क निर्माण करके अपनी सैन्य क्षमता को मजबूत करना चाहता है.
भारत की मौजूदा स्थिति
भारतीय रक्षा मंत्री अरुण जेटली द्वारा चीनी आरोपों का जवाब देते हुए कहा गया कि भारत की स्थिति भी 1962 की नहीं रही तथा हम 2017 के दौर में अपनी संप्रभुता और सीमा की रक्षा करने में सक्षम हैं.
रक्षा मंत्री के इस बयान से चीन में खलबली देखने को मिली. चीन की इस बौखलाहट का कारण भारत का अमेरिका और इज़राइल से नजदीकी संबंध स्थापित करना तथा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन द्वारा समुद्री क्षेत्र कब्जाने का भारत द्वारा विरोध किया जाना मुख्य कारण हैं.
चीन के के पास एस-400 मिसाइल डिफेंस सिस्टम है जबकि भारत ने रूस से इसी तरह की प्रणाली का सौदा किया है. भारत के पास अत्याधुनिक लड़ाकू विमान, तेज़-तर्रार मिसाइल प्रणाली तथा रक्षा प्रणाली भी है.
चीन के पास सैन्य क्षेत्र में स्वदेशी ताकत भारत से अधिक और अत्याधुनिक हो सकती है लेकिन भारत के पास कूटनीतिक दृष्टि से अंतरराष्ट्रीय समर्थन भी हासिल है. चीन के पास भी समस्याएं कम नहीं हैं वह तिब्बत, चीन सागर पर कब्जा, वन बेल्ट वन रोड तथा घरेलू अलगाववादियों जैसी समस्याओं से घिरा है.
कुल मिलकर यह हालात दोनों देशों के लिए हितकर नहीं है, यह असामान्य हालात दोनों देशों की अर्थिक और कूटनीतिक प्रगति में बाधा बन सकते हैं. बेहतर होगा यदि दोनों देश बातचीत द्वारा कोई हल निकाल सकें.
Latest Stories
Weekly Current Affairs Quiz 18 से 24 अगस्त 2025: ICC प्लेयर ऑफ द मंथ का अवार्ड किस भारतीय ने जीता?
परीक्षण और प्रश्नएसेट मोनेटाइजेशन से 1,000 करोड़ रुपये से ज्यादा जुटाए गए, पढ़ें खबर
राष्ट्रीय | भारत करेंट अफेयर्सCurrent Affairs Quiz 22 अगस्त 2025: दिल्ली पुलिस का नया आयुक्त किसे नियुक्त किया गया?
डेली करेंट अफेयर्स क्विज
यूपीएससी, एसएससी, बैंकिंग, रेलवे, डिफेन्स और प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए नवीनतम दैनिक, साप्ताहिक और मासिक करेंट अफेयर्स और अपडेटेड जीके हिंदी में यहां देख और पढ़ सकते है! जागरण जोश करेंट अफेयर्स ऐप डाउनलोड करें!
Comments
All Comments (0)
Join the conversation