भारतीय रॉकेट पोलर सैटेलाईट लॉन्च व्हीकल (पीएसएलवी) द्वारा हाल ही में विश्व के सबसे छोटे यान को पृथ्वी की कक्षा में प्रक्षेपित किया गया.
स्प्राइट्स के नाम से जाने जाते इन छोटे उपग्रहों का आकार 3.5 सेंटीमीटरx3.5 सेंटीमीटर है. इसमें रेडियो, सेंसर एवं कंप्यूटर लगाया गया है. प्रत्येक उपग्रह सौर उर्जा से संचालित है तथा प्रत्येक उपग्रह का वजन चार ग्राम है.
स्प्राइट्स का निर्माण कोर्नेल यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं द्वारा किया गया. इन्हें जर्मनी के दो उपग्रहों मैक्स वेलिएर एवं वेंटा द्वारा अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया गया.
वैज्ञानिकों द्वारा दी गयी जानकारी के अनुसार, इन छोटे उपग्रहों ने जिस प्रकार से सन्देश भेजे हैं उससे लगता है कि यह अच्छे ढंग से काम कर रहे हैं. इस मिशन को यह जांचने के लिए तैयार किया गया है कि स्प्राइट्स किस प्रकार के पृथ्वी की कक्षा में कार्य कर सकता है.
स्प्राइट्स को इससे पहले अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन में ले जाया गया था लेकिन इस बार इन्हें प्रक्षेपित करने के बाद पहली बार इनसे अंतरिक्ष में संपर्क साधा गया.
स्प्राइट्स अंतरिक्ष यान का विकास ब्रेकथ्रू स्टार्सशॉट कार्यक्रम के तहत किया गया. इसे तैयार करने वाले वैज्ञानिक का नाम जैक मेनचेस्टर है, इससे पहले जैक ने 2011 में ‘किकसैट’ तैयार किया था.
ब्रेकथ्रू स्टार्सशॉट
• ब्रेकथ्रू स्टार्सशॉट व्यावहारिक इंटरस्टेलर अंतरिक्ष मिशनों को विकसित और लॉन्च करने के लिए निर्णायक पहल के तहत एक व्यापक कार्यक्रम है.
• युरी मिल्नर और स्टीफन हॉकिंग द्वारा 100 मिलियन डॉलर के इस कार्यक्रम का उद्देश्य ऐसे अंतरिक्ष यान विकसित करना है जो 20 प्रतिशत प्रकाश गति से उड़ सकें.
• इसका एक अन्य उद्देश्य एक ग्राम को चिप को सोलर सिस्टम से भी आगे तारों तक भेजना है.
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