पनामा नहर प्राधिकरण द्वारा पनामा नहर के नौवहन मार्ग (शिपिंग रूट) के चौड़ीकरण की परियोजना का काम 5 फरवरी 2014 को रोक दिया गया. इसका कारण बढ़ती लागतों को लेकर उठा विवाद है.
इससे पहले, जनवरी 2014 में स्पेन की कंपनी की अगुवाई में बने बिल्डिंग-कंसोर्टियम द्वारा पनामा प्राधिकारियों को परियोजना की बढ़ी हुई लागतों के रूप में 1.6 बिलियन डॉलर का भुगतान करने की अंतिम समय-सीमा दी गई थी.
पनामा नहर प्राधिकरण ने बढ़े हुए निर्माण-बिल के लिए बिल्डिंग कंपनियों पर आरोप मढ़ते हुए भुगतान करने से मना कर दिया था.
पनामा नहर प्राधिकरण के इस निर्णय का प्रभाव इस पूरे क्षेत्र पर पड़ेगा, क्योंकि नहर चौड़ी होने से व्यवसाय में बढ़ोतरी होने की उम्मीद लगाए अनेक बंदरगाहों ने इसमें भारी निवेश किया हुआ है.
परियोजना की लागत मूल रूप से 5.25 बिलियन डॉलर आंकी गई थी, किंतु परियोजना के निर्माण के दौरान वह अप्रत्याशित रूप से बढ़कर 7 बिलियन डॉलर हो गई.
पनामा नहर शिपिंग रूट के बारे में
पनामा नहर शिपिंग रूट विश्व के सबसे महत्त्वपूर्ण शिपिंग रूट्स में से एक है. यह पनामा में 77.1 किलोमीटर शिप-नहर है और कैरिबियन सागर के माध्यम से अटलांटिक महासागर को प्रशांत महासागर से जोड़ती है. 15 अगस्त 1914 को खोली गई यह नहर अभी तक की सबसे बड़ी और सबसे कठिन इंजीनियरिंग परियोजनाओं में से एक है. नहर के विकास ने प्रशांत और अटलांटिक महासागरों के बीच यात्रा का मार्ग छोटा कर उसमें लगने वाला समय घटा दिया तथा ड्रेक मार्ग या मैगेलन जलडमरूमध्य से होकर खतरनाक केप हॉर्न मार्ग से जाने की जरूरत नहीं रही.
पुर्तगाली नाविक फर्डीनांड मैगेलन स्पेन के चार्ल्स I की सेवा में रहते हुए 1520 में मैगेलन जलडमरूमध्य से होकर समुद्री यात्रा करने वाला पहला यूरोपियन था. ऐसा उसने अपनी वैश्विक परिनौसंचालन (सर्कमनैविगेशन) यात्रा के दौरान किया.
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