उत्तरी अमेरिकी देश, मेक्सिको ने 9 दिसम्बर 2015 को विश्व के पहले डेंगू के टीके को मंजूरी प्रदान कर दी.
इस टीके को फ़्रांस के दवा निर्माता समूह सनोफी के टीका निर्माण विभाग ‘सनोफी पाश्चर’ ने विकसित किया है. कम्पनी द्वारा विकसित यह टीका सिर्फ 9 से 45 वर्ष के आयु समूह के लिए ही है.
देश की चिकित्सा सुरक्षा एजेंसी ने इस टीके के विश्व के 29000 लोगों पर किए गए सफल परीक्षण की पुष्टि की है.
यह टीका साधारण डेंगू से बचाव में 60.5 प्रतिशत और डेंगू के गंभीर मामलों से बचाव में 93.2 प्रतिशत कामयाब है.
विश्व स्वास्थ्य संगठन द्वारा वर्ष 2014 में जारी की गई एक रिपोर्ट के अनुसार यह टीका डेंगू के इलाज में 60.8 प्रतिशत तक प्रभावी है.
मेक्सिको की चिकित्सा सुरक्षा एजेंसी ने बताया की इस टीके से प्रत्येक वर्ष लगभग 104 लोगों की मृत्यु(डेंगू से) को रोका जा सकेगा, इसके अतिरिक्त चिकत्सा पर होने वाले व्यय में भी लगभग 65 मिलियन यूएस डॉलर की कमी आएगी.
डेंगू
डेंगू एक वायरल बीमारी है जो की डेंगू विषाणु के 4 प्रकारों में से किसी एक प्रकार के डेंगू विषाणु से होता है. जब कोई रोगी डेंगू बीमारी से ठीक हो जाता है, तब उस मरीज को उस एक प्रकार के डेंगू विषाणु से लम्बे समय के लिए प्रतिरोध मिल जाती है परन्तु अन्य 3 प्रकार के डेंगू विषाणु से डेंगू दोबारा हो सकता है. दूसरी बार होने वाला डेंगू काफी गंभीर हो सकता है जिसे डेंगू हेमररेजिक ज्वर (Dengue Hemorrhagic Fever) कहते है.
इस बीमार का मुख्य एजेंट मादा जाति के ‘Aedes aegypti’ नामक मच्छर है. इस बिमारी के लक्षण तेज ज्वर और मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द में शामिल हैं. डेंगू का अब तक कोई विशेष उपचार नहीं था.
हर वर्ष विश्व में लगभग 10 करोड़ लोग डेंगू के शिकार होते है. भारत में भी हर साल कई लोगो की डेंगू के कारण मृत्यु हो जाती है.
Now get latest Current Affairs on mobile, Download # 1 Current Affairs App
Comments
All Comments (0)
Join the conversation