बांग्लादेश ने 04 अक्टूबर 2017 को भारत के साथ 4.5 अरब डॉलर के तीसरे ऋण सुविधा एलओसी करार पर हस्ताक्षर किया. बांग्लादेश इस कर्ज का इस्तेमाल अपने बुनियादी ढांचे और सामाजिक क्षेत्र के विकास पर करेगा. इस समझौते पर भारत के वित्त मंत्री अरण जेटली और उनके बांग्लादेशी समकक्ष ए एम ए मुहित की मौजूदगी में हस्ताक्षर किया गया. इससे पहले दोनों नेताओं के बीच व्यापक विचार विमर्श हुआ.
एडीबी और पंजाब नेशनल बैंक के मध्य 100 मिलियन डॉलर का समझौता
मुख्य तथ्य:
भारत की ओर से 4.5 अरब डॉलर की ऋण सुविधा का इस्तेमाल बांग्लादेश में 17 बड़ी परियोजनाओं के वित्तपोषण में किया जाएगा. इनमें बिजली, रेल सडक़, जहाजरानी और बंदरगाह क्षेत्र की परियोजनाएं शामिल हैं.
बांग्लादेश को इस ऋण पर एक प्रतिशत सालाना का ब्याज देना होगा. बांग्लादेश को यह कर्ज 20 साल में लौटाना होगा. उसके पास पांच साल की ग्रेस अवधि भी होगी. अरुण जेटली ने इस करार पर हस्ताक्षर के बाद कहा कि पिछले सात वर्षोँ में सामाजिक आर्थिक मोर्चे पर बांग्लादेश ने उल्लेखनीय प्रगति की है.
तीसरे ऋण व्यवस्था के मिले धन से भारतीय बाजारों से 65 से 75 फीसदी सेवाओं या सामानों की खरीददारी करेगा. वित्त मंत्री ने कहा कि हम विकास के मामले में हमेशा बांग्लादेश के साथ खड़े रहे हैं और भविष्य में भी ऐसा ही करेंगे.
भारत-बांग्लादेश संबंध:
भारत और बांग्लादेश दक्षिण एशिया के दो महत्वपूर्ण देश हैं. भारत के बेहद ख़ास रिश्ते वाले देशों में ‘बांग्लादेश’ का नाम अग्रणी है. वर्ष 1971 में बांग्लादेश बनने के बाद से दोनों देशों के रिश्तों में अनेक उतार-चढ़ाव आये हैं, पर राजनीतिक, आर्थिक और सामरिक क्षेत्रों में परस्पर सहयोग लगातार मजबूत हुए हैं. भारत-बांग्लादेश के बीच 54 नदियां समान रूप से बहती हैं. भारत-बांग्लादेश की सीमाएं बंगाल, त्रिपुरा, असम, और मेघालय को छूती है. भारत-बांग्लादेश के बीच रक्षा प्रशिक्षण को लेकर लंबे समय सहमति रही है. दोनों देशों के बीच रक्षा सहयोग से जुड़े दो समझौतों और ट्रेनिंग कॉलेज की स्थापना पर सहमति बनी है.
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