कैबिनेट समिति ने जातिगत जनगणना 2011 की लागत में संशोधन को मंजूरी दी

Jul 27, 2017, 15:47 IST

सरकार समाज के गरीब और अधिकार विहीन वर्ग की सहायता के लिए देश के ग्रामीण और शहरी इलाकों में गरीबी उन्मूलन और कल्याणकारी कार्यक्रमों पर भारी मात्रा में धनराशि खर्च कर रही है.

prime ministerप्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना 2011 (एसईसीसी 2011) की लागत में संशोधन करने संबंधी ग्रामीण विकास विभाग के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है.

मुख्य तथ्य:

•    सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना 2011 की लागत को संशोधित करके 4893.60 करोड़ रुपये कर दिया गया है, जबकि इससे पहले स्वीेकृत अनुमानित व्यय 3543.29 करोड़ रुपये था, जो सरकार द्वारा अनुमोदित 4000 करोड़ रुपये की सांकेतिक लागत के भीतर था.

•    तय अवधि एवं लागत में बढ़ोतरी और इसके परिणामस्वरूप केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों के लिए प्रति-रिकॉर्ड लागत की ऊपरी सीमा में संशोधन को मंजूरी दे दी गई है.

•    सामाजिक-आर्थिक और जातिगत जनगणना-2011 परियोजना 31 मार्च 2016 को पूरी हो चुकी है. इसके तहत तय धनराशि का परिव्यय पहले ही हो चुका है और परियोजना ने अपने सभी लक्ष्य प्राप्त कर लिए हैं.

इसके मुख्य प्रभाव:

•    सरकार समाज के गरीब और अधिकार विहीन वर्ग की सहायता के लिए देश के ग्रामीण और शहरी इलाकों में गरीबी उन्मूलन और कल्याणकारी कार्यक्रमों पर भारी मात्रा में धनराशि खर्च कर रही है. एसईसीसी ने गरीबों के लिए बेहतरी का मार्ग प्रशस्ता किया है और गरीब परिवारों की स्थिति सुधारने के लिए साक्ष्य आधारित नियोजित हस्तक्षेप किया है.

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•    एसईसीसी के आंकड़े ग्रामीण विकास और अन्य विभागों द्वारा चलाई जा रही विभिन्ने योजनाओं के अंतर्गत लाभान्वितों की पहचान करने और प्राथमिकता का आधार तय करने के लिए परिवारों द्वारा दी गई जानकारी की एक प्रामाणिक सूची प्रदान करते हैं.  

•    परिवारों का क्रम त्रिस्तरीय प्रक्रिया के जरिए तय किया गया है. इसमें गरीब परिवारों में सबसे गरीब के लिए पांच स्वत: शामिल मानदंड और गरीब परिवारों की पहचान करने के लिए सात आपद मानदंडों को शामिल किया गया है.

•    सरकार ने गरीब की पहचान करने के लिए राज्यों को दीन दयाल अंत्योदय योजना, प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण आदि के अंतर्गत एसईसीसी आंकड़े और परिवारों की टीआईएन संख्या प्रक्रिया का इस्तेंमाल करने की सलाह दी है.

•    एसईसीसी-2011 के इस्तेमाल से लाभान्वित के चयन में पारदर्शिता आई है और डीबीटी के साथ उसकी संरचित व्यापकता का शासन और जवाबदेही पर अधिकतम प्रभाव पड़ा है.

•    एसईसीसी के आंकड़ों की उपलब्धतता से पहले, पात्र लाभान्वितों की सही पहचान करना एक प्रमुख चुनौती था. गरीबी रेखा से नीचे की सूची में पक्षपात के आरोपों के कारण सबसे गरीब को शामिल करने की प्रक्रिया प्रभावित हो रही थी.

•    एसईसीसी के आंकड़े परिवारों द्वारा दी गई जानकारी पर आधारित हैं साथ ही परिवारों को यह अवसर प्रदान किया गया है कि वे एसईसीसी के एकत्र और प्रकाशित आंकड़ों के बारे में दावों और आपत्तियों को उठाएं.

स्रोत(PIB)

 

Jagran Josh
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