केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 सितम्बर 2017 को ‘दुग्ध प्रसंस्करण और बुनियादी विकास निधि’ योजना को मंजूरी दे दी. वर्ष 2017-18 से वर्ष 2028-29 की अवधि के दौरान 10,881 करोड़ रूपये की लागत से ‘दुग्ध प्रसंस्करण और बुनियादी विकास निधि’ योजना के कार्यान्वयन को मंजूरी दी. यह बैठक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई.
केंद्रीय बजट वर्ष 2017-18 की घोषणा के बाद, नाबार्ड के साथ 8004 करोड़ रूपये की धनराशि से दुग्ध प्रसंस्करण और बुनियादी विकास निधि स्थापित की जाएगी.
मुख्य तथ्य:
कुल योजना लागत 10,881 करोड़ रूपये पर दुग्ध प्रसंस्करण और बुनियादी विकास निधि (डीआईडीएफ) की शुरूआत और स्थापना करना.
डीआईडीएफ परियोजना घटकों हेतु 10,881 करोड़ रूपये में से 8,004 करोड़ रूपये राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और राष्ट्रीय सहकारी दुग्ध विकास (एनसीडीसी) के लिए नाबार्ड से ऋण के रूप में, वर्ष 2001 करोड़ रूपये अंतिम ऋण प्राप्तकर्ताओं का योगदान होगा, 12 करोड़ रूपये एनडीडीबी या एनसीडीसी का हिस्सा होगा और 864 करोड़ रूपये ब्याज रियायत की दिशा में डीएडीएफ द्वारा योगदान किया जाएगा.
वर्ष 2017-18, वर्ष 2018-19 और वर्ष 2019-20 के दौरान क्रमश: 2004 करोड़ रूपये, 3006 करोड़ और 2,994 करोड़ रूपये का भुगतान नाबार्ड द्वारा किया जाएगा.
ऋण भुगतान की पूरी अवधि यानि वर्ष 2017-18 से वर्ष 2028-29 की अवधि में 12 वर्ष में नाबार्ड को ब्याज रियायत पूरा करने के लिए 864 करोड़ रूपये आबंटित किए जाएंगे.
दुग्ध प्रसंस्करण और बुनियादी विकास निधि की मुख्य विशेषताएं:
दुग्ध उत्पादक कंपनियों और एनडीडीबी सहायक संस्थाओं जैसे अंतिम ऋण प्राप्त कर्ताओं के माध्यम से सीधे तौर पर राष्ट्रीय दुग्ध विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और राष्ट्रीय दुग्ध विकास सहकारिता (एनसीडीसी) द्वारा कार्यान्वित की जाएगी. एनडीडीबी, आनंद स्थित एक कार्यान्वयन और निगरानी प्रकोष्ठ परियोजना संबंधी दैनिक गतिविधियों के कार्यान्वयन और निगरानी का प्रबंध करेगा.
डीआईडीएफ योजना के कार्यान्वयन से कुशल, अर्धकुशल और अकुशल लोगों के लिए प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर तैयार होंगे.
अंतिम ऋण प्राप्तकर्ता प्रति वर्ष 6.5 प्रतिशत की दर से ऋण प्राप्त करेंगे. प्रारम्भिक तौर पर दो वर्ष की रियायत सहित पुनर्भुगतान की अवधि 10 वर्ष होगी.
संबंधित राज्य सरकार ऋण के भुगतान की गांरटी करेंगे. यदि मंजूर की गई परियोजना के लिए अंतिम उपभोक्ता अपने हिस्से का योगदान करने में समर्थ नही है तो राज्य सरकार इसका योगदान करेगी.
दुग्ध सहकारी संस्थाओं की ओर से दूध खरीद संचालनों में वृद्धि के साथ दूध की खरीद से जुड़े संचालनों में वृद्धि, गांवों से लेकर प्रसंस्करण इकाइयों तक दूध के परिवहन और कृत्रिम गर्भाधान सेवाओं, पशु पालन सेवाओं आदि जैसी सेवाओं का वितरण बढ़ने से लोगों को अतिरिक्त रोज़गार मिलेंगे.
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