केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 सितम्बर 2017 को भारत की तलछट घाटियों के जानकारी से वंचित क्षेत्रों के सर्वेक्षण को मंजूरी दी. यह बैठक प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में हुई. भारत की तलछट घाटियों, जिनके बारे में सीमित आंकड़े उपलब्ध हैं, इसके सर्वेक्षण हेतु 48,243 लाइन किलोमीटर 2डी सिस्मिक डाटा अधिगृहित करने के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना को मंजूरी दी गयी है.
इस परियोजना से तेल और गैस के घरेलू उत्पादन में निवेश बढ़ाने में मदद मिलेगी. यह परियोजना राष्ट्रीय तेल कंपनियों यानि ऑयल इंडिया लिमिटेड और तेल और प्राकृतिक गैस निगम द्वारा कार्यान्वित की जाएगी. ऑयल इण्डिया लिमिटेड उत्तर-पूर्वी राज्यों में सर्वे का संचालन करेगा, जबकि शेष क्षेत्र में तेल और प्राकृतिक गैस निगम द्वारा सर्वेक्षण किया जाएगा. यह सर्वेक्षण कार्य 24 राज्यों में किया जाएगा.
मुख्य तथ्य:
- इस संपूर्ण परियोजना की कुल अनुमानित लागत पूरे पांच वर्षों में 2932.99 करोड़ रुपए है. शुरूआत में, राष्ट्रीय तेल कंपनियां धन की जरूरत के लिए अपने श्रोतों का इस्तेमाल कर रही हैं, जिसे सरकार द्वारा भुगतान किया जाएगा.
- सम्पूर्ण परियोजना वर्ष 2019-20 तक पूरी होने की संभावना है.
- हाइड्रो-कार्बन महानिदेशालय इस परियोजना की निगरानी करने के साथ-साथ मासिक आधार पर प्रगति की समीक्षा कर रहा है.
- परियोजना में स्थानीय स्तर जहां कार्य होने हैं, वहां बड़ी संख्या में कामगारों को शामिल किया जाएगा.
- इससे कुशल और अकुशल कामगारों के रूप में लगभग 11,000 लोगों को प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रोजगार मिलने की संभावना है तथा सहायक सेवाओं के लिए आपूर्तिकर्ताओं की भी आवश्यकता होगी.
- इन घाटियों के मूल्यांकन के बाद और क्षेत्र की संभावना के आधार पर अगली खोज और उत्पादन संबंधी गतिविधियों के लिए ब्लॉकों की पेशकश की जाएगी, जिससे अतिरिक्त रोजगार का सृजन होगा.
पृष्ठभूमि:
भारत के पास भूमि पर उथले जल और गहरे जल में 3.14 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैले 26 तलछट घाटियां हैं. कुल तलछट घाटी क्षेत्र के लगभग 1.502 मिलियन वर्ग किलोमीटर क्षेत्र अर्थात् 48 प्रतिशत हिस्से के बारे में पर्याप्त भू-वैज्ञानिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है. भविष्य की खोज और उत्पादन से जुड़ी गतिविधियों को शुरू करने के आधार के रूप में जानकारी से वंचित सभी क्षेत्रों के मूल्यांकन के लिए विचार करना एक महत्वपूर्ण कार्य माना जा रहा है.
आंकड़े जुटाना इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि इससे घाटियों के बारे में प्रारंभिक विवरण मिलता है और भविष्य की खोज और उत्पादकता संबंधी गतिविधियों के लिए योजनाएं बनाने में मदद मिलती है. यह देश में खोज संबंधी गतिविधियों के क्षेत्रों पर जोर देने संबंधी निर्णय हेतु उपयोगी होगा और इस प्राथमिक आंकड़े के आधार पर खोज और उत्पादन कंपनियां अपने लिए निर्धारित क्षेत्र में खोज संबंधी अतिरिक्त कार्य कर सकेंगी.
स्रोत (पीआईबी)
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