केंद्र सरकार ने घरेलू उदयोगों को संरक्षण देने के उद्देश्य से चीन से कुछ इस्पात छड़ों के आयात पर पांच साल के लिए डंपिंगरोधी शुल्क लगा दिया है. वाणिज्य मंत्रालय के डंपिंगरोधी और संबद्ध शुल्क महानिदेशालय ने ऐसे आयात पर डंपिंगरोधी शुल्क लगाने की सिफारिश की थी.
संबद्ध शुल्क महानिदेशालय ने कहा था कि मिश्रित धातु या गैर-मिश्रित धातु की छड़ों का भारत में सामान्य से कम दर पर आयात किया जा रहा है जिससे घरेलू उद्योग को नुकसान हो रहा है. राजस्व विभाग ने एक अधिसूचना में कहा है कि डंपिंग रोधी शुल्क, लागू होने की तिथि से पांच साल तक प्रभावी रहेगा और इसका भुगतान भारतीय मुद्रा में किया जाएगा.
इन इस्पात उत्पादों का इस्तेमाल वाहनों के कल-पुर्जे, रेल, इंजीनियरिंग और निर्माण जैसे विभिन्न क्षेत्रों में किया जाता है. भारत ने चीन और दक्षिण कोरिया सहित चार देशों से कुछ इस्पात उत्पादों पर पहले से ही डंपिंग रोधी शुल्क लगाया हुआ है. निष्पक्ष व्यापार सुनिश्चित करने और घरेलू उद्योगों को समान अवसर देने के लिए डंपिंग रोधी उपाय किए जाते हैं.
डंपिंगरोधी शुल्क के बारे में:
किसी देश द्वारा दूसरे देश में अपने उत्पादों को लागत से भी कम दाम पर बेचने को डंपिंग कहा जाता है. इससे घरेलू उद्योगों का सामान महंगा पड़ने के कारण वे बाजार में पिट जाते हैं. सरकार इसे रोकने के लिए निर्यातक देश में उत्पाद की लागत और अपने यहां मूल्य के अंतर के बराबर शुल्क लगा देती है. इसे ही डंपिंगरोधी शुल्क यानी एंटी डंपिंग ड्यूटी कहा जाता है. विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) समझौते के तहत डंपिंग की निंदा की गयी है (लेकिन इसे रोका नहीं गया है), अगर यह आयात करने वाले देश में एक घरेलू उद्योग को आर्थिक नुकसान पहुंचाता है या इसके खतरे का कारण बनता है.
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