रक्षा मंत्रालय द्वारा भारत और चीन के मध्य चल रहे मौजूदा विवाद के दौरान सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) के प्रशासनिक और वित्तीय अधिकार बढ़ाने का निर्णय किया. यह निर्णय चीन सीमा पर महत्वपूर्ण रणनीतिक सड़कों के निर्माण में हो रही देरी के चलते लिया गया.
भारतीय सीमा पर सड़क निर्माण का काम लंबित है जिसके लिए कैग ने भी आपत्ति दर्ज कराई थी. भारतीय सेना भी चीन की सीमा से सटी सड़क की ख़राब हालत के चलते नाखुश थी लेकिन यदि अब सड़क बन जाती है तो लंबे समय से रुका कार्य सम्पन्न हो जायेगा.
कैग ने चीन सीमा पर 3409 किमी लंबाई की 61 अहम सड़कों के निर्माण में देरी पर आपत्ति दर्ज कराई थी. कुछ परियोजनाएं जो वर्ष 2012 तक पूरी हो जानी चाहिए थे अभी तक पूरी नहीं हुई है.
रक्षा मंत्रालय ने कहा कि अहम सड़कों का निर्माण जल्दी पूरा करने के लिए बीआरओ को प्रशासनिक के साथ-साथ वित्तीय अधिकार दिए गए हैं. अफसरों, बीआरओ और मंत्रालय के बीच औपचारिकताओं में होने वाली देरी कम करने के लिए निचले स्तर तक अधिकार दिए गए हैं.
मुख्य बिंदु
• बीआरओ के महानिदेशक अब 100 करोड़ रुपए तक के आयातित या स्वेदशी कंस्ट्रक्शन मशीनरी और इक्विपमेंट की खरीद का फैसला खुद कर सकेंगे.
• पहले यह अधिकार स्वदेशी के मामले में 7.5 करोड़ और आयातित के मामले में 3 करोड़ तक सीमित थे.
• बीआरओ को बड़ी कंस्ट्रक्शन कंपनी को ठेका देने के लिए पॉलिसी गाइडलाइन मंजूर की गयी है.
• बीआरओ में चीफ इंजीनियर 50 करोड़, एडीजी 75 करोड़, डीजी 100 करोड़ तक के प्रोजेक्ट को मंजूरी दे सकेगा.
सीमा सड़क संगठन
सीमा सड़क संगठन भारत के सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़क मार्ग के निर्माण एवं व्यवस्थापन का कार्य करता है. सीमावर्ती क्षेत्रों में पहाड़ी इलाके होने से भूमिस्खलन तथा चट्टानों के गिरते-टूटते रहने से सड़कें टूटती रहती हैं. इनको सुचारु बनाये रखने के लिये संगठन को पूरे वर्ष कार्यरत रहना पड़ता है.
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