प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 17 सितंबर 2017 को सरदार सरोवर नर्मदा बांध का लोकार्पण किया तथा इसे राष्ट्र को समर्पित किया. प्रधानमंत्री मोदी ने इस अवसर पर इस परियोजना से सम्बंधित विभिन्न बाधाओं एवं विशेषताओं का उल्लेख किया.
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस बांध की नींव 05 अप्रैल 1961 में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू द्वारा रखी गयी थी लेकिन इसका निर्माण वर्ष 1987 में शुरू हो पाया था.
सरदार सरोवर बांध के मुख्य बिंदु
• सरदार पटेल ने वर्ष 1945 में नर्मदा नदी पर बांध बनाने की पहल की थी जबकि भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू ने इसकी नींव रखी थी.
• इसका निर्माण वर्ष 1987 में आरंभ हुआ लेकिन मध्य प्रदेश और गुजरात के मध्य विवाद के कारण इस परियोजना में देरी हुई.
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• इस बांध की लम्बाई 1.2 किलोमीटर है जिस पर लगभग 65 हजार करोड़ रुपये खर्च किये गये.
• इस बांध के 30 दरवाजे हैं जिनमें प्रत्येक का वजन 450 टन से अधिक है. प्रत्येक दरवाजे को बंद करने में एक घंटे से अधिक का समय लगता है.
• इसके निर्माण के लिए 86.20 लाख क्यूबिक मीटर कंक्रीट का उपयोग किया गया है.
• यह अमेरिका के ग्रांट कोली के बाद विश्व का दूसरा सबसे बड़ा बांध है.
सरदार सरोवर बांध के लाभ
• केंद्र सरकार का कहना है कि सरदार सरोवर बांध से जो विद्युत निर्माण होगा उससे मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात राज्यों को आपूर्ति की जाएगी.
• इस बांध से बनने वाली बिजली का 57 प्रतिशत हिस्सा महाराष्ट्र, 27 प्रतिशत मध्य प्रदेश और 16 प्रतिशत गुजरात को आवंटित है.
• इसके डूब क्षेत्र में आने वाले गांवों के लोगों के विस्थापन के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री आनंदीबेन पटेल ने इसकी ऊंचाई 121 से 138.68 मीटर बढ़ाने की घोषणा की थी.
• अक्टूबर 2000 में सुप्रीम कोर्ट की मंजूरी के बाद सरदार सरोवर बांध का रुका हुआ काम एक बार फिर से आरंभ हुआ.
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