केंद्र सरकार ने 20 नवम्बर 2017 को परिचालन संबंधी सुधार के लिए नगालैंड और संघ शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार द्वीप, दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव के साथ चार समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किये.
योजना के अंतर्गत ये राज्य या संघ शासित प्रदेश केवल परिचालन संबंधी सुधार करेंगे और वित्तीय पुनर्गठन या बांड के मुद्दे को नहीं उठाएंगे. इसके साथ ही उदय क्लब की संख्या बढ़कर 27 राज्य और चार संघ शासित प्रदेश हो गई है.
यह भी पढ़ें: भारत ने सोलर पार्क परियोजना हेतु विश्व बैंक के साथ ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये
मुख्य तथ्य:
- उदय में शामिल होकर, पूंजीगत खर्च के लिए कम कीमत पर, एटी और सी तथा ट्रांसमिशन हानियों में कटौती, ऊर्जा दक्षता आदि में हस्तक्षेप से नगालैंड और संघ शासित प्रदेश अंडमान और निकोबार, दादरा और नगर हवेली तथा दमन और दीव क्रमश: करीब 551 करोड़ रुपये, 13 करोड़ रुपये और 10 करोड़ रुपये का लाभ प्राप्त करेंगे.
- इस समझौत ज्ञापन से राज्य या संघ शासित प्रदेश के विद्युत विभागों या वितरण कंपनियों की संचालन कार्य क्षमता में सुधार का मार्ग प्रशस्त होगा.
- अनिवार्य वितरण के जरिए ट्रांसफॉर्मर मीटरिंग, उपभोक्ता इंडेक्सिंग और नुकसान की जीआईएस मैपिंग, ट्रॉसफॉर्मर या मीटर आदि के उन्नयन या परिवर्तन, उच्च क्वालिटी के उत्पादों की चाहत रखने वाले उपभोक्तओं की स्मार्ट मीटरिंग, फीडर ऑडिट आदि के जरिए एटी और सी नुकसान और ट्रॉसमिशन नुकसान को कम किया जा सकेगा. साथ ही बिजली की आपूर्ति की लागत और वसूली के बीच के अंतर को समाप्त किया जा सकेगा.
- एटी और सी नुकसान का स्तर कम होने का अर्थ है कि उपभोक्ताओं को बिजली की प्रति इकाई कम कीमत अदा करनी पड़ेगी. साथ ही वितरण कंपनी या विद्युत विभाग अधिक बिजली की आपूर्ति करने की स्थिति में होगा.
- इससे उन स्थानों पर तेजी से सस्ती बिजली उपलब्ध हो सकेगी, जहां आज भी बिजली नहीं है. 24 घंटे बिजली की उपलब्धता से अर्थव्यवस्था आगे बढ़ेगी. इससे उद्योग या पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा और साथ ही इन राज्यों या संघ शासित प्रदेश के लोगों को रोजगार के और अधिक अवसर मिलेंगे.
- हालांकि राज्यों या संघ शासित प्रदेशों द्वारा अपनी संचालन संबंधी कार्य क्षमता में सुधार और बिजली की आपूर्ति की लागत कम करने के प्रयास किये जाएंगे.
- केन्द्र सरकार ऊर्जा के बुनियादी ढांचे में सुधार और बिजली की लागत कम करने के लिए राज्य या संघ शासित प्रदेश को प्रोत्साहन देगी.
- केन्द्रीय योजनाएं जैसे- दीनदयाल उपाध्याय ग्राम ज्योति योजना (डीडीयूजीजेवाई), समन्वित विद्युत विकास योजना (आईपीडीएस), बिजली क्षेत्र विकास कोष अथवा बिजली मंत्रालय और नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय की अन्य योजनाएं विद्युत बुनियादी ढांचे में सुधार के लिए पहले से ही धनराशि प्रदान कर रही है.
- इन योजनाओं के अंतर्गत अतिरिक्त या प्राथमिकता के रूप में धनराशि देने के बारे में विचार किया जाएगा, यदि राज्य या संघ शासित प्रदेश योजना में दिये गये संचालन संबंधी उपलब्धियों को पूरा करते हों.
- उदय में ऊर्जा कार्य दक्ष एलईडी बल्बों के इस्तेमाल, कृषि पम्पों, पंखों और एयरकंडीशनर तथा पीएटी (परिणत, हासिल करना, व्यापार) के जरिए दक्ष औद्योगिक उपकरण, बिजली की अधिक मांग वाले समय में लोड को कम करने में मदद करेंगे, जिससे राज्यों या संघ शासित प्रदेशों में ऊर्जा के उपभोग को कम करने में मदद मिलेगी.
उदय योजना:
उदय योजना भारत की विद्युत वितरण करने वाली कम्पनियों के आर्थिक पुरुत्थान के लिये शुरू की गयी भारत सरकार की एक योजना है. यह 5 नवम्बर 2015 को आरम्भ हुई थी जिसके तहत राज्य एवं केंद्र शासित प्रदेशो की घाटे में चल रही विधुत वितरण कंपनियों को घाटे से उबारने एवं उनकी वितीय स्थिति को सुद्रढ करने का कार्य किया जा रहा है. इसी योजना के कारण ही राजस्थान की विधुत वितरण कंपनियों के घाटे में काफी हद तक सुधार हुआ है इन कंपनियों का घाटा 27.3 प्रतिशत से घटकर वर्तमान में 23.6 प्रतिशत हो गया है.
स्रोत (पीआईबी)
यह भी पढ़ें: शिया वक्फ बोर्ड ने सुप्रीम कोर्ट में राम जन्मभूमि विवाद के समझौते हेतु याचिका दायर की
Comments
All Comments (0)
Join the conversation