राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने 23 अगस्त 2017 को केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय और दिल्ली सरकार पर जुर्माना लगाने की घोषणा की. एनजीटी ने यह जुर्माना यमुना नदी के पुनर्जीवन और पुनरोद्धार पर स्टेटस रिपोर्ट नहीं सौंपने के कारण लगाया.
एनजीटी द्वारा मंत्रालय और दिल्ली सरकार पर 50-50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया. एनजीटी के अध्यक्ष जस्टिस स्वतंत्र कुमार द्वारा यह आदेश सुनाये जाने से पहले पर्यावरण मंत्रालय और दिल्ली सरकार के वकील पीठ के सामने हाजिर नहीं हुए और कोई रिपोर्ट रिकॉर्ड पर नहीं रखी गई जिसके चलते यह निर्णय लिया गया.
मुख्य बिंदु
• एनजीटी पीठ ने कहा कि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय की ओर से कोई मौजूद नहीं है और उनकी ओर से कोई स्थिति रिपोर्ट दाखिल नहीं की गई.
• अदालत ने कहा कि 08 अगस्त 2017 सुनाये गये हमारे आदेश पर तुरंत ध्यान देने की आवश्यकता थी जो नहीं किया गया.
• अधिकरण ने पहले हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से कहा था कि वे यमुना नदी के पुनर्जीवन एवं पुनरोद्धार पर तीन हफ्ते के भीतर विस्तृत रिपोर्ट सौंपें.
• एनजीटी ने हरियाणा एवं हिमाचल प्रदेश के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को निर्देश जारी करते हुए कहा कि वे भी यमुना के जल की गुणवत्ता का अध्ययन करें.
पृष्ठभूमि
राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण ने यमुना के डूब क्षेत्रों में कचरा फेंकने तथा खुले में शौच पर पाबंदी लगायी थी तथा आदेश का उल्लंघन करने वाले पर 5,000 रुपये जुर्माना लगाए जाने का आदेश दिया था.
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