राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने 13 जुलाई 2017 को उत्तराखंड के हरिद्वार से उत्तर प्रदेश के उन्नाव के बीच गंगा किनारे के 100 मीटर दायरे को 'नो डेवलपमेंट जोन' घोषित किया है. एनजीटी ने गंगा की सफाई को लेकर बड़ा आदेश दिया.
मुख्य तथ्य:
• एनजीटी के अध्यक्ष न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार के नेतृत्व वाली पीठ ने कहा कि गंगा नदी में किसी प्रकार का कचरा डंप करने वाले को 50 हजार रूपए पर्यावरण हर्जाना देना होगा.
• एनजीटी ने कचरा निस्तारण संयंत्र के निर्माण और दो वर्ष के भीतर नालियों की सफाई सहित सभी संबंधित विभागों से विभिन्न परियोजनाओं को पूरा करने के निर्देश दिए.
• एनजीटी ने गंगा किनारे के 500 मीटर के दायरे में कचरे के निस्तारण पर रोक लगा दी है.
• एनजीटी ने कहा है कि हरिद्वार से उन्नाव तक के गंगा किनारे पर 500 मीटर के दायरे में कूड़ा नहीं फेंका जाना चाहिए.
• इससे पहले उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड को गंगा या इसकी सहायक नदियों के घाटों पर धार्मिक गतिविधियों के लिए गाइडलाइंस तैयार करने का निर्देश दिया गया था.
• एनजीटी ने अपने 543 पेज के फैसले में दिए गए निर्देशों के कार्यान्वयन की देखरेख और इसके बारे में रिपोर्ट प्रस्तुत करने के लिए एक पर्यवेक्षी समिति का भी गठन किया है.
• एनजीटी ने उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को गंगा और उसकी सहायक नदियों के घाटों पर धार्मिक क्रियाकलापों के लिए दिशानिर्देश बनाने के लिए भी कहा.
राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी):
• भारत में एनजीटी 02 जून 2010 को अस्तित्व में आया.
• इसके दायरे में देश में लागू पर्यावरण, जल, जंगल, वायु और जैवविवधता के सभी नियम-कानून आते हैं.
• एनजीटी देश में पर्यावरण संबंधि कानून और संपत्तियों के नुकसान संबंधी मामलों की निपटारा करता है.
• एनजीटी के कार्य क्षेत्र में पर्यावरण, वनों का संरक्षण औरप्राकृतिक संसाधनों के संरक्षण से संबंधित मामलों का निपटारा जल्द हो सके इसके लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण की स्थापना भी की गई है.
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