शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन में इस बात का दावा किया है कि अंटार्कटिका के उपर पृथ्वी का ओजोन छेद के विस्तार में कमी आना शुरु हो गया है. उन्होंने कहा है कि वर्ष 2000 के मुकाबले सितंबर 2015 में छेद करीब 4 मिलियन वर्ग किलोमीटर, मोटे तौर पर भारत के क्षेत्रफल जितना, छोटा हो गया था.
सुरक्षा परत में इस सुधार का श्रेय ओजन–को नष्ट करने वाले रसायनों का चरणबद्ध पद्धति से हटाया जाने की प्रक्रिया को जाता है. इस पद्धति को 1989 मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल में अपनाया गया था.
अध्ययन के निष्कर्ष
• औद्योगिक क्लोरोफ्लोरोकार्बन जो ओजन की परत को कमजोर करने की वजह हैं, को मॉन्ट्रियल प्रोटोकॉल के तहत चरणबद्ध तरीके से कम किये जाने का प्रयास किया गया है.
• ध्रुवीय ओजोन में रसायन संचालित बढ़ोतरी की इस ऐतिहासिक समझौते की प्रतिक्रिया में उम्मीद थी.
वर्ष 2000 से सितंबर में मिले फिंगरप्रिंट्स की पहचान निम्नलिखित तथ्यों के माध्यम से की गई थी
क) ओजोन कॉलम मात्रा में बढ़ोतरी
ख) ओजोन सांद्रता के लंबवत प्रोफाइल में बदलाव
ग) ओजोन छिद्र के एरियल एक्सटेंट में कमी
• रसायन विज्ञान के साथ-साथ गतिशील एवं तापमान में हुए बदलावों ने परत में सुधार में योगदान किया लेकिन यह रसायन विज्ञान का प्रतिनिधित्व करेगा.
• ज्वालामुखी के विस्फोटों में कमी ने सुधार में योगदान दिया, खासकर 2015 के दौरान ( जब कैलबुको विस्फोट के बाद रिकॉर्ड ओजोन छिद्र हुआ).
1980 के दशक में पहली बार इस परत के पतले होने की रिपोर्ट के बाद से इसमें सुधार का यह पहला स्पष्ट सबूत है. तत्कालीन रिपोर्ट में कहा गया था कि अंटार्कटिका के उपर ओजन की परत में छेद है. सितंबर 1987 में करीब 18 मिलियन वर्ग किलोमीटर के औसत से यह बढ़ रहा था और सितंबर 2000 में यह करीब 25 मिलियन वर्ग किलोमीटर चौड़ा हो जाएगा.
अध्यनन 30 जून 2016 को साइंस नाम की पत्रिका में प्रकाशित हुआ था. अध्ययन के मुख्य लेखक सूसान सुलैमान ने अपनी टीम के साथ 2000 और 2015 के बीच स्ट्रैटोस्फेयर में ओजोने की मात्रा का विस्तार से माप लिया.
अंटार्कटिका में 1980 के दशक में ओजोन में छेद खोजने में किसने मदद की?
अत्यधिक ठंड और प्रकाश की बड़ी मात्रा ने वैज्ञानिकों को अंटार्कटिका के उपर ओजोन के पतले होने की खोज में मदद की. इन दो कारकों ने ध्रुवीय समतापमंडल के बादलों को बनाने और इन बादलों में उपस्थित क्लोरिन रसायनशास्त्र ने ओजोन को नष्ट करने में मदद की.
प्रक्रिया
वातावरण में क्लोरोफलोरोकार्बन (सीएफसी) से सूर्य की रौशनी की पराबैंगनी (यूवी) प्रकाश के टकराने पर पराबैंगनी किरणों का रसायनिक बॉन्ड टूटता है और क्लोरीन मुक्त होता है. ये मुक्त क्लोरीन अणु रसायनों के निर्माण के लिए ओजोन अणुओं (O3) से ऑक्सीजन निकालने में मदद करते हैं और ओजोन खुद को नष्ट करने लगता है.
ओजोन का छिद्र अक्टूबर में अपने अंतिम चरण के आकार तक पहुंच जाता है और नवंबर तक समतापमंडल इस ध्रुवीय भंवर को भरने के लिए पर्याप्त गर्म हो जाता है.
ओजोन
ओजोन की परत समतापमंडल के नीचले किनारे पर पृथ्वी की सतह से करीब 20 से 30 किलोमीटर की दूरी पर रहता है. यह परत हमारे ग्रह को सूर्य से आने वाली पराबैंगनी विकिरण से रक्षा करता है.
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