एक लॉ फर्म से 11.5 मिलियन दस्तावेजों लीक हुए. इन्हें पनामा पेपर्स का नाम दिया गया. ये पेपर्स बताते हैं कि कैसे दुनिया के वर्तमान अमीर, राजनेता और मशहूर हस्तियां अपने पैसे पनामा में छुपाती हैं.
3 अप्रैल 2016 को जर्मनी के अखबार Suddeutsche Zeitung द्वारा दस्तावेजों के लीक होने पर छापी गई एक रिपोर्ट के बाद पनामा पेपर्स के लीक की खबर सामने आई.
इसमें कहा गया है कि दुनिया के सबसे गोपनीय ऑफशोर लॉ फर्म्स में से एक पनामा की मोसैक फॉन्सेका (Mossack Fonseca) अपने ग्राहकों के काले धन को सफेद करने और टैक्स चोरी करने में दशकों से मदद कर रही है. इस काम के लिए कंपनी पर अभी तक किसी भी प्रकार का दंड या जुर्माना नहीं लगाया गया है.
अखबार ने कहा है कि, एक वर्ष से भी अधिक समय पहले एक अज्ञात स्रोत ने उनसे संपर्क किया और उन्हें Mossack Fonseca, जो दुनिया भर की अनगिनत ऑफशोर कंपनियों को खरीदने–बेचने का काम करती हैं, के दस्तावेज दिए.
अखबार ने ये दस्तावेज खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय महासंघ (ICIJ) को दिखाए. ICIJ ने फिर इन दस्तावेजों को अंतरराष्ट्रीय भागीदारों के बड़े नेटवर्क के साथ साझा किया.
पनामा पेपर्स-
दस्तावेज, जिन्हें पनामा पेपर्स नाम दिया गया है, म्युनिख के दैनिक अखबार को मिला था. उसने इसे वाशिंगटन स्थित खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय महासंघ (ICIJ) और अन्य अंतरराष्ट्रीय समाचार आउटसेट्स के सथ साझा किए. कुल मिलाकर 78 देशों के करीब 107 मीडिया आउलेट्स ने इन दस्तावेजों की जांच की.
दस्तावेज कम–से–कम 12 वर्तमान और भूतपूर्व राष्ट्र प्रमुखों और 143 अन्य राजनेताओँ के अवैध वित्तीय लेन–देन की बात करता है.
ICIJ ने कहा है कि दस्तावेजों में रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन, मलेशिया के प्रधानमंत्री नजीब रजाक के बेटे नजीफुद्दीन, चीन के राष्ट्रपति झी जिनपिंग का परिवार, चीन के भूतपूर्व प्रमुख ली पेंग की बेटी ली जियाओलिन, पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के बच्चे, यूक्रेन के राष्ट्रपति, आईसलैंड के प्रधानमंत्री सिग्मुंडुर गुन्नलाउग्सन और बार्सिलोना के फॉर्वार्ड फुटबॉल खिलाड़ी लियोनेल मेस्सी जैसी मशहूर हस्तियां शामिल हैं.
इस बीच पनामा की सरकार ने "पनामा पेपर्स" लीक मामले के कानूनी जांच में सहयोग देने की बात की है. लॉ फर्म मोसैक फॉन्सेका (Mossack Fonseca) ने इस रहस्योद्घाटन को अपराध कहा है.
उन्होंने क्या खुलासा किया ?
इतिहास के सबसे बड़े लीक कहे जा रहे पनामा पेपर्स में 11.5 मिलियन दस्तावेजों का सेट और 2.6 टेराबाइट जानकारी है. यह कॉरपोरेट सेवा प्रदाता मोसैक फॉन्सेका (Mossack Fonseca) में सूचीबद्ध 214000 से भी अधिक ऑफशोर कंपनियों के बारे में विस्तृत जानकारी ( शेयरहोल्डरों की पहचान और कंपनियों के निदेशकों से सम्बंधित) देता है.
इससे पता चलता है कि गोपनीय अपतटीय कर व्यवस्थाओं के दोहन के लिए अमीर लोगों द्वारा अनगिनत रास्ते अपनाए गए हैं.
यह लीक 2010 में विकीलीक्स द्वारा जारी यूएस डिप्लोमैटिक केबल्स और 2013 में एडवर्ड स्नोडेन द्वारा पत्रकारों को दिए गए गोपनीय खुफिया दस्तावेजों से भी बड़ा है. इसमें 11.5 मिलियन दस्तावेज और 2.6 टेराबाइट जानकारी है जिसे मोसैक फॉन्सेका (Mossack Fonseca) के आंतरिक डेटाबेस से निकाला गया है.
प्रभाव-
इस लीक का पूरे विश्व पर बहुत गहरा प्रभाव पड़ा है और ये प्रभाव कुछ इस प्रकार हैं-
• भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जांच के आदेश दिए हैं और बाद में सरकार ने घोषणा की कि उन्होंने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के जांच इकाई, विदेशी कर एवं कर शोध प्रभाग, वित्तीय खुफिया इकाई और भारतीय रिजर्व बैंक के अधिकारों के समूह वाला एक विशेष बहु–एजेंसी समूह का गठन किया है.
• इस घोटाले के आरंभिक मीडिया कवरेज के दो दिनों के बाद आईसलैंड के प्रधानमंत्री सिग्मुंडुर गुन्नलाउग्सन ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने पनामा पेपर्स लीक से उनके ऑफशोर होल्डिंग के खुलासे से पैदा हुए विवाद के बीच इस्तीफा दिया.
• ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल के चिली शाखा के अध्यक्ष गोंजालो डेलेवाउ ने पानामा की लॉ फर्म के दस्तावेजों में कम– से– कम पांच ऑफशोर कंपनियों से उनके जुड़े होने की बात सामने आने के बाद इस्तीफा दे दिया.
• फ्रांस, जिसने इस मामले में जांच शुरु की, ने भी पनामा को अपने कर के सूची में शामिल कर लिया है.
मोसैक फॉन्सेका (Mossack Fonseca)
मोसैक फॉन्सेका (Mossack Fonseca) एंड कंपनी पनामा की एक लॉ कंपनी एवं कॉरपोरेट सेवा प्रदाता है. पूरे विश्व में इसके 40 से भी अधिक कार्यालय हैं. इस कंपनी की स्थापना 1977 में हुई थी. दुनिया की यह अग्रणी कंपनी व्यापक कानूनी एवं विश्वास सेवाएं मुहैया कराती है.
यह वाणिज्यक कानून, ट्रस्ट सेर्विसेस, इन्वेस्टर एडवाइजरी और इंटरनेशनल स्ट्रक्चर्स में माहिर कंपनी है. साथ ही यह बौद्धिक संपदा संरक्षण और समुद्री कानून सेवाएं भी प्रदान करती है.
यह स्विट्जरलैंड, साइप्रस और ब्रिटिश वर्जिन आईसलैंड के साथ साथ ब्रिटेन पर निर्भर रहने वाले ग्वेर्नसे, जर्सी और आईल ऑफ मैन समेत कर के मामले में स्वर्ग माने जाने वाले देशों में काम करती है.
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