पंजाब मंत्रिमंडल ने औद्योगिक वृद्धि और आर्थिक गतिविधियों को गति देने के लिये नई औद्योगिक और व्यापार विकास नीति-2017 को आज मंजूरी दे दी. इससे औद्योगिक बिजली शुल्क पांच रुपये प्रति यूनिट तय करने और औद्योगिक कर्ज के एकबारगी निपटान का रास्ता साफ हो गया है.
राज्य में स्टार्ट-अप संस्कृति को बढ़ावा देने हेतु 100 करोड़ रुपये के कोष का गठन, कौशल विविद्यालय का गठन और उद्योग केंद्रित कौशल विकास केंद्र की स्थापना इस नीति की अन्य प्रमुख विशेषताएं हैं. सभी कौशल प्रशिक्षण योजनाओं को एक एजेंसी पंजाब कौशल विकास मिशन के अंतर्गत लाया जाएगा.
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पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिन्दर सिंह की अध्यक्षता वाली मंत्रिमंडल समिति ने नीति को अपनी मंजूरी दे दी है. इसमें मौजूदा और नये उद्योग के लिये पांच साल हेतु नियत बिजली शुल्क शामिल है.
मौजूदा इकाइयों के विस्तार और उन्नयन के लिये प्रोत्साहन के अलावा नई नीति में पंजाब राज्य औद्योगिक विकास निगम पीएसआईडीसी, पंजाब वित्त निगम पीएफसी और पंजाब कृषि उद्योग निगम लि. पीएआईसी से लिये गये कर्ज के एक बारगी निपटान पर जोर दिया गया है. एक बारगी निपटान नीति से फंसे औद्योगिक निवेश और संपत्ति का उपयोग उत्पादक कार्यों में हो सकेगा तथा राज्य में मौजूदा उद्योग को पटरी पर लाया जा सकेगा.
नई औद्योगिक नीति के तहत औद्योगिक अवसंचना के विकास पर मुख्य जोर है, जिसमें सीमा क्षेत्रों, चरम सीमा क्षेत्रों और 'कांडी' क्षेत्रों के विकास पर मुख्य जोर दिया गया है. नई नीति को पंजाब में निवेश आकर्षित करने तथा 'व्यापार में आसानी' को ध्यान में रखते हुए बनाया गया है.
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