
उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा 26 जुलाई 2017 को की गयी घोषणा के अनुसार राज्य में बाघों की संख्या बढ़कर 242 हो गयी है. इस एक वर्ष में 63 बाघों की बढ़ोतरी दर्ज की गयी.
राज्य के दो बाघ अभ्यारण्य में 11 शावक भी पाए गये. मुख्यमंत्री ने यह घोषणा वर्ष 2016-17 के दौरान जुटाए गये आंकड़ों के आधार पर कही.
उत्तराखंड में दो बाघ अभ्यारण्य, जिम कॉर्बेट बाघ अभ्यारण्य तथा राजाजी बाघ अभ्यारणय मौजूद हैं. मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर वन विभाग के अधिकारियों की प्रशंसा की तथा उनके प्रयासों की सराहना की.
भारत में सबसे अधिक बाघ कर्नाटक में पाए जाते हैं. कर्नाटक में लभग 400 बाघ हैं इसके बाद उत्तराखंड का स्थान आता है.
मुख्य बिंदु
• आंकड़ों के अनुसार जिम कॉर्बेट बाघ अभ्यारण्य में 208 बाघ हैं जबकि पिछले वर्ष इस क्षेत्र में बाघों की संख्या 163 थी.
• इस क्षेत्र में छह बाघ शावक भी देखे गये.
• राजाजी बाघ अभ्यारणय में 34 बाघों की पहचान सुनिश्चित की गयी जबकि पिछले वर्ष यहां केवल 16 बाघ मौजूद थे.
• इसके अतिरिक्त राजाजी में बाघों के पांच शावक भी देखे गये.
• जिम कॉर्बेट में बाघों की गिनती के लिए 535 कैमरे लगाए गये जबकि राजाजी में चुनिंदा स्थानों पर 562 कैमरे लगाए गये.
• इस कार्य में इंडियन वाइल्डलाइफ इंस्टिट्यूट एवं वर्ल्ड नेचर फंड की सहायता ली गयी.
भारत के अभ्यारणय
भारत में लगभग 400 प्राणी अभयारण्य हैं, जिन्हें वन्य जीवन अभयारण्य (IUCN श्रेणी IV सुरक्षित क्षेत्र) कहा जाता है. इनमें से 28 बाघ अभयारण्य बाघ परियोजना द्वारा संचालित हैं, जो बाघ-संरक्षण के लिए महत्वपूर्ण हैं. कुछ वन्य अभयारण्यों को पक्षी-अभयारण्य कहा जाता रहा है जैसे केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान. कई राष्ट्रीय उद्यान पहले वन्य जीवन अभयारण्य ही थे. कुछ वन्य जीवन अभयारण्य संरक्षण हेतु राष्ट्रीय महत्व रखते हैं, अपनी कुछ मुख्य प्राणी प्रजातियों के कारण. अतः उन्हें राष्ट्रीय वन्य जीवन अभयारण्य कहा जाता है, जैसे राष्ट्रीय चम्बल वन्य जीव अभयारण्य जो वर्ष 1978 में घड़ियाल संरक्षण हेतु बनाया गया.

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