संयुक्त राज्य अमेरिका ने स्वयं को संयुक्त राष्ट्र शैक्षणिक, वैज्ञानिक व सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) से अलग किये जाने की घोषणा की. इससे यूनेस्को की दिक्कतें बढ़ सकती हैं क्योंकि यूनेस्को फ़िलहाल फंड की कमी से जूझ रहा है.
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रम्प यूनेस्को को दिए जाने वाले फंड की पहले से ही आलोचना करते रहे हैं. यूनेस्को को अमेरिका की ओर से प्रत्येक वर्ष आठ करोड़ डॉलर (करीब 520 करोड़ रुपये) की सहायता राशि दी जाती है.
यूनेस्को से बाहर होने का अमेरिका का फैसला 31 दिसंबर 2018 से प्रभावी होगा. उस समय तक अमेरिका यूनेस्को का एक पूर्णकालिक सदस्य बना रहेगा. इससे पहले फॉरेन पॉलिसी मैगज़ीन द्वारा भी कहा गया था कि 58 सदस्यीय यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड द्वारा नए महानिदेशक का चुनाव किए जाने के बाद अमेरिका इससे अलग होने का एलान कर सकता है.
गौरतलब है कि अमेरिका ने वर्ष 2011 में फिलस्तीन को यूनेस्को का पूर्णकालिक सदस्य बनाने के फैसले के विरोध में इसके बजट में अपने योगदान नहीं दिया था.
विस्तृत हिंदी current affairs के लिए यहां क्लिक करें
यूनेस्को
संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक तथा सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) संयुक्त राष्ट्र का एक घटक निकाय है. इसका कार्य शिक्षा, प्रकृति तथा समाज विज्ञान, संस्कृति तथा संचार के माध्यम से अंतराष्ट्रीय शांति को बढ़ावा देना है. संयुक्त राष्ट्र की इस विशेष संस्था का गठन 16 नवम्बर 1945 को हुआ था. इसका उद्देश्य शिक्षा एवं संस्कृति के अंतरराष्ट्रीय सहयोग से शांति एवं सुरक्षा की स्थापना करना है, ताकि संयुक्त राष्ट्र के चार्टर में वर्णित न्याय, कानून का राज, मानवाधिकार एवं मौलिक स्वतंत्रता हेतु वैश्विक सहमति बन पाए. इसका मुख्यालय पैरिस, फ्रांस में स्थित है.
Comments
All Comments (0)
Join the conversation