उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने उत्तराखंड में लागू राष्ट्रपति शासन को 21 अप्रैल 2016 को रद्द करने का आदेश दिया. उत्तराखंड में 27 मार्च 2016 को केंद्र सरकार की सिफारिश पर राष्ट्रपति शासन लगाया गया था. उत्तराखंड के निवर्तमान मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इसे उत्तराखंड हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.
उपरोक्त निर्णय देते हुए उत्तराखंड उच्च न्यायालय ने हरीश रावत सरकार को 29 अप्रैल 2016 को बहुमत साबित करने का आदेश दिया. इसके साथ ही न्यायालय ने कांग्रेस के 9 बागी विधायकों की सदस्यता भी रद्द कर दी. इसके बाद उत्तराखंड असेंबली में 62 विधायक ही रह गए हैं. कांग्रेस को अपना बहुमत साबित करने के लिए 33 का आंकड़ा चाहिए.
संबंधित मुख्य तथ्य:
• उत्तराखंड में 18 मार्च 2016 को राजनीतिक संकट उस वक्त शुरू हुआ था, जब 70 मेंबर्स की असेंबली में कांग्रेस के 36 में से 9 विधायक बागी हो गए.
• उत्तराखंड के राज्यपाल केके पॉल ने सीएम हरीश रावत को 28 मार्च 2016 तक विश्वास मत हासिल करने को कहा. लेकिन केंद्र ने विश्वास मत हासिल करने के पहले 27 मार्च को ही राज्य में राष्ट्रपति शासन लगा दिया.
• कांग्रेस ने राष्ट्रपति शासन के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की. हाईकोर्ट ने 31 मार्च 2016 को असेंबली में फ्लोर टेस्ट कराने का निर्देश दिया तथा उत्तराखंड हाईकोर्ट के रजिस्ट्रार को बतौर ऑब्जर्वर बनाया. साथ ही, कांग्रेस के बागी और सस्पेंड हो चुके 9 विधायकों को भी वोटिंग की मंजूरी दी. इसके बाद, 30 मार्च 2016 को केंद्र सरकार ने हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी. तब से कोर्ट में सिलसिलेवार सुनवाई चल रही थी. इसके बाद उपरोक्त निर्णय आया.
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