केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) अधिनियम 1981 में संशोधन को अपनी मंजूरी 7 फरवरी 2013 को प्रदान की. संशोधन के तहत नाबार्ड की अधिकृत पूंजी को 5000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 20000 करोड़ रुपए कर दिया गया जिसका उद्देश्य कृषि तथा ग्रामीण विकास के लिए अधिक ऋण उपलब्ध कराना है.
नाबार्ड अधिनियम 1981 में संशोधन के अन्य प्रस्तावित बिंदु निम्नलिखित हैं:
• सहकारी संस्थाओं के अर्थ को विस्तृत करने का प्रस्ताव है ताकि किसी भी केंद्रीय कानून के तहत पंजीकृत सहकारी संस्थाओं अथवा केन्द्र या राज्य के किसी अन्य कानून से संबंधित सहकारी संस्थाओं को इसमें शामिल किया जा सके.
• स्वामित्व में बदलाव ताकि नाबार्ड की बकाया शेयर पूंजी को भारतीय रिजर्व बैंक से केंद्रीय सरकार के पास स्थानांतरित किया जा सके.
• लघु अवधि निधियन तथा अन्य बदलावों के तहत नाबार्ड के संचालन अवसर में वृद्धि करना.
इन संशोधनों से निम्नलिखित लाभ संभावित हैं:
• नाबार्ड की अधिकृत पूंजी को 5000 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 20000 करोड़ रुपए करने पर बाजार के संसाधनों को क्रियाशील करने की नाबार्ड की क्षमता में वृद्धि होगी जिससे नवीन ऋण उत्पाद, नवीन ऋण श्रृंखला का विकास होगा और नए ग्राहक बनेंगे.
• संशोधनों के तहत नाबार्ड नए संस्थानों खासतौर पर बहुराज्यीय सहकारी संस्था अधिनियम और अन्य केंद्रीय कानूनों के तहत आने वाली संस्थाओं, उत्पादक संगठनों तथा केन्द्र सरकार द्वारा मंजूर वित्तीय संस्थानों के वर्ग को ऋण दे सकेगा. इससे देश के किसानों को लाभ पहुंचने की संभावना है.
• संशोधनों में ऋण, लघु अवधि संचालन निधि का निर्माण तथा किसानों के ऋण के विनियमन के सामंजस्य को मंजूरी दी गई है.
• नाबार्ड के बकाया एक प्रतिशत शेयर को भारतीय रिजर्व बैंक से भारत सरकार के पास स्थानांतरित करने के निर्णय से केन्द्र सरकार द्वारा आरबीआई द्वारा धारित इक्विटी के अधिग्रहण से सार्वजनिक उत्तरदायित्व में वृद्धि होगी.
• नेतृत्व संबंधी अधिकारों के विभाजन को रोकने के उद्देश्य से नाबार्ड द्वारा अध्यक्ष तथा प्रबंध निदेशक के पदों को मिलाने की योजना.
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