सर्वोच्च न्यायालय ने 6 फरवरी 2013 को भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) को निर्देश दिया की वह सहारा समूह की दो कंपनियों के बैंक खाते बंद करने और संपत्ति जब्त करने को स्वतंत्र है, यह निर्देश निवेशकों को 24 हजार करोड़ रूपए वापस करने के न्यायालय के आदेश पर सहारा समूह द्वारा अमल नहीं करने के कारण दिया गया.
इसके साथ ही सर्वोच्च न्यायलय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति के एस राधाकृष्णन और न्यायमूर्ति जे एस खेहड़ की खंडपीठ ने सहारा समूह से पूछा की न्यायालय के पहले के आदेश पर अमल नहीं करने के लिए उसके विरुद्ध क्यों नहीं अवमानना की कार्रवाई की जाए. साथ ही सहारा समूह को नोटिस जारी कर 4 हफ्तों के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया.
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने अगस्त 2012 के निर्देश के अनुसार सहारा इंडिया रीयल एस्टेट कॉरपोरेशन और सहारा हाउसिंग इनवेस्टमेंट कॉरपोरेशन के विरुद्ध कार्रवाई नहीं करने पर सेबी की आलोचना भी की.
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