प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 15वें वित्त आयोग का गठन करने के लिए मंजूरी प्रदान की है. भारत के संविधान के अनुच्छेद 280 (1) के अंतर्गत यह संवैधानिक बाध्यता है. 15वें वित्त आयोग की शर्तों को आने वाले समय में अधिसूचित किया जाएगा.
इसके अलावा कैबिनेट ने 320 केंद्रीय सार्वजनिक उपक्रमों के 9.35 लाख कर्मचारियों के वेतन की समीक्षा संबंधी प्रस्ताव को भी मंजूरी दी है. संविधान के अनुच्छेद 280 (1) के अंतर्गत यह प्रावधान है कि संविधान के प्रारंभ से दो वर्ष के भीतर और उसके बाद प्रत्येक पाँच वर्ष की समाप्ति पर या पहले इस समय पर, जिसे राष्ट्रपति आवश्यक समझते हैं, एक वित्त आयोग का गठन किया जाएगा.
इस जरूरत को ध्यान में रखते हुए, परम्परा यह है कि पिछले वित्त आयोग के गठन की तारीख के पाँच वर्षों के भीतर अगले वित्त आयोग का गठन हो जाता है.
पृष्ठभूमि
अभी तक 14 वित्त आयोगों का गठन किया जा चुका है. 14वें वित्त आयोग का गठन 01 अप्रैल, 2015 से शुरू होने वाले पाँच वर्षों की अवधि को कवर करने वाली सिफारिशें देने के लिए 02 जनवरी 2013 को गठित किया गया था. 14वें वित्त आयोग ने 15 दिसंबर, 2014 को अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया था.
14वें वित्त आयोग की सिफारिशें वित्तीय वर्ष 2019-20 तक के लिए वैध है. संवैधानिक प्रावधानों के नियमों के अनुसार, 15वें वित्त आयोग का गठन करना अब शेष है. 15वां वित्त आयोग दिनांक 01 अप्रैल, 2020 से लेकर अगले पाँच वर्षों की अवधि के लिए सिफारिशों को कवर करेगा.
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वित्त आयोग के बारे में
भारतीय वित्त आयोग का गठन वर्ष 1951 में किया गया था. इसे भारत के राष्ट्रपति द्वारा भारतीय संविधान की धारा 280 के तहत स्थापित किया गया है. इस आयोग को केंद्र और राज्य के बीच वित्तीय संबंधों को परिभाषित करने के लिए किया गया था. राष्ट्रपति को वित्त आयोग के गठन का अधिकार प्राप्त है. वित्त आयोग में राष्ट्रपति द्वारा एक अध्यक्ष और चार अन्य सदस्य नियुक्त किये जाते हैं. राज्यों के वित्त आयोग का गठन भारतीय संविधान के अनुच्छेद 243 (1) के तहत किया जाता है.
(स्रोत: पीआईबी)
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