नोटबंदी का एक वर्ष: क्या पाया, क्या खोया

नोटबंदी से कुछ परेशानियां हुईं तो इसके अनेक लाभ भी देखने को मिले. आइये देखते हैं इस फैसले से भारतीय अर्थवयवस्था में किस तरह के बदलाव आये.

Nov 7, 2017, 12:38 IST
Many milestones achieved in one year of demonetisation
Many milestones achieved in one year of demonetisation

आज से ठीक एक वर्ष पहले 08 नवंबर 2016 को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 500 रुपये एवं 1000 रुपये के नोटों को तत्काल प्रभाव से बंद किए जाने की ऐतिहासिक घोषणा की उस समय पूरे देश में खलबली सी मच गयी थी. उस समय की शुरुआती परेशानियों के बावजूद देश फिर से धीरे-धीरे पटरी पर आने लगा है.

हालांकि, नोटबंदी से भारतीय अर्थवयवस्था को काफी परेशानी भी झेलनी पड़ी. इस फैसले से पिछले एक वर्ष के दौरान जहां देश के विकास की रफ़्तार सुस्त रही, वहीं रोजगार, विनिर्माण तथा विदेशी निवेश पर भी गहरा प्रभाव पड़ा. नोटबंदी से कुछ परेशानियां हुईं तो इसके अनेक लाभ भी देखने को मिले. आइये देखते हैं इस फैसले से भारतीय अर्थवयवस्था में किस तरह के बदलाव आये.

डिजिटल लेनदेन में बढ़ोतरी
हाल ही में वित्त मंत्रालय द्वारा नोटबंदी का एक वर्ष पूरा होने पर ट्वीट जारी करके बताया गया कि इस फैसले से बाजार में प्रचलित नकदी 17.77 लाख करोड़ रुपये से घटकर 14.75 लाख करोड़ रुपये रह गई.
मंत्रालय ने कहा कि नोटबंदी के फैसले के कारण देश में टैक्स का बेस बढ़ा जिससे डिजिटल लेनदेन का अहम योगदान है. देश में अब अधिकतर लोग कैश की जगह डिजिटल तरीके से लेनदेन करने लगे हैं. यह भारतीय अर्थवयवस्था को मजबूती प्रदान करने में महत्वपूर्ण है.

वित्त मंत्री अरुण जेटली द्वारा हाल ही में एक कार्यक्रम में कहा गया कि कुछ लोगों को डिजिटल लेनदेन और ऑनलाइन बैंकिंग के तौर तरीकों को अपनाने में समस्या आ रही है, लेकिन यह तय है कि आने वाले वक्त में नकद लेनदेन की तुलना में डिजिटल लेनदेन की संख्या बहुत तेजी से बढ़ेगी.

milestones achieved in one year of demonetisation

काले धन में कमी
वित्त मंत्रालय द्वारा ट्विटर पर नोटबंदी के फायदे गिनाते हुए कहा कि इसका असल उद्देश्य काले धन पर लगाम लगाना था जिसमें सरकार सफल रही है. सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार नोटबंदी के बाद अब देश में केवल 83 प्रतिशत ही नगदी प्रभावी है.

मंत्रालय ने नोटबंदी के लाभ गिनाते हुए कहा कि इससे आतंकवाद एवं नक्सलवाद के वित्तपोषण पर गहरा आघात हुआ. मंत्रालय ने कहा कि इनके अलावा नोटबंदी ने कर दायरा बढ़ाने, अनौपचारिक अर्थव्यवस्था को औपचारिक अर्थव्यवस्था में तब्दील करने और धन को जिम्मेदार बनाने में भी मदद की है. नोटबंदी ने कालेधन पर अचानक रोक लगाई जिससे हज़ारों करोड़ रुपये का काला धन जब्त कर दिया गया तथा इसे प्रचलन से बाहर कर दिया गया.

कर आधार में बढ़ोतरी
नोटबंदी के एक वर्ष पूरे होने पर सरकार द्वारा जारी आंकड़ों में बताया गया कि इस निर्णय के एक वर्ष बाद ही कर आधार में भारी बढ़ोतरी देखने को मिली है. चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से अक्टूबर के दौरान रिकार्ड 3.78 करोड़ व्यक्तियों अथवा कंपनियों ने आयकर ई-रिटर्न दाखिल किया जबकि पिछले साल इस अवधि में यह आंकड़ा 3.21 करोड़ था.

माना जा रहा है कि नोटबंदी के चलते अब तक करीब 57 लाख आयकर दाता बढ़ गए हैं. रिटर्न फाइलिंग का यह आंकड़ा इसलिए अहम है क्योंकि सवा अरब से अधिक की आबादी वाले भारत में पांच प्रतिशत लोग भी रिटर्न दाखिल नहीं करते. यह बात गौर करने लायक है कि आयकर विभाग की ई-फाइलिंग वेबसाइट पर अब तक 6.85 करोड़ करदाता पंजीकृत हो चुके हैं.


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डिजिटल इकॉनमी की ओर
नोटबंदी के बाद हो रहे बदलावों के लाभों की बात करें तो सबसे अहम है कि इससे भारतीय अर्थव्यवस्था के आधारभूत ढांचे में परिवर्तन आ रहा है. जहां पहले सभी काम कैश में हुआ करते थे वहीं अब सभी कामों में डिजिटलाईजेशन नज़र आने लगा है.

लगभग सभी सरकारी एवं प्राइवेट संस्थानों में अधिक से अधिक डिजिटल प्लेटफार्म उपयोग होने लगे हैं. सरकारी फॉर्म भरने से लेकर, फीस जमा कराने एवं टैक्स फाइल करने से लेकर सरकारी कागजातों में भी डिजिटलाईजेशन का उपयोग होने लगा है.

नोटबंदी के अन्य लाभ
•    नोटबंदी के बाद ऋण दरों में लगभग 100 पॉइंट्स की गिरावट के बाद ऋण सस्ते हुए.
•    रियल एस्टेट सेक्टर में भी कीमतों में गिरावट देखने को मिली जिसका सीधा लाभ उपभोक्ताओं को मिला.
•    एक अनुमान के अनुसार, नोटबंदी के बाद पूरे देश के यूएलबी राजस्व में तीन गुना बढ़ोतरी देखने को मिली.
•    उत्तर प्रदेश में यूएलबी राजस्व में चार गुना बढ़ोतरी हुई जबकि मध्य प्रदेश एवं गुजरात में यह बढ़ोतरी पांच गुना आंकी गयी.

Gorky Bakshi is a content writer with 9 years of experience in education in digital and print media. He is a post-graduate in Mass Communication
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