केंद्र सरकार ने 21 सितम्बर 2017 को किफायती आवास के लिए नई सावर्जनिक-निजी भागीदारी (पीपीपी) नीति की घोषणा की है. इसके तहत अब से निजी भूमि पर भी प्राइवेट बिल्डरों द्वारा निर्मित किए जाने वाले प्रत्येक मकान के लिए 2.50 लाख रुपये तक की केंद्रीय सहायता दी जाएगी.
इसके अलावा, शहरी क्षेत्रों में सरकारी भूमि पर क्रियान्वित होने वाली किफायती आवास परियोजनाओं में निजी निवेश की संभावनाएं भी काफी हद तक बढ़ जाएंगी.
आवास और शहरी मामले मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने इस नीति की घोषणा की है, जिसमें किफायती आवास वर्ग में निवेश करने के वास्ते निजी क्षेत्र को आठ पीपीपी (सार्वजनिक-निजी भागीदारी) विकल्प दिए गए हैं. इसके अलावा इस नीति के तहत 2022 तक सभी के लिए आवास के लक्ष्य को हासिल करने के लिए अल्प प्रयुक्त एवं अप्रयुक्त निजी और सार्वजनिक भूमि का उपयोग भी किया जा सकता है.
निजी भूमि पर किफायती आवास में निजी निवेश से जुड़े दो पीपीपी मॉडलों में प्रधानमंत्री आवास योजना (शहरी) के ऋण संबंधी सब्सिडी घटक (सीएलएसएस) के तहत बतौर एकमुश्त भुगतान बैंक ऋणों पर ब्याज सब्सिडी के रूप में प्रति मकान लगभग 2.50 लाख रुपये की केन्द्रीय सहायता देना भी शामिल है. दूसरे विकल्प के तहत अगर लाभार्थी बैंक से ऋण नहीं लेना चाहता है तो निजी भूमि पर बनने वाले प्रत्येक मकान पर डेढ़ लाख रुपये की केंद्रीय सहायता प्रदान की जाएगी.
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सरकारी भूमि के इस्तेमाल वाले छह मॉडल:
- डीबीटी मॉडल: इस विकल्प के अंतर्गत प्राइवेट बिल्डर सरकारी भूमि पर आवास की डिजाइनिंग के साथ-साथ इसका निर्माण कर इन्हें सरकारी प्राधिकारियों को हस्तांतरित कर सकते हैं. निर्माण की सबसे कम लागत के आधार पर सरकारी भूमि आवंटित की जाएगी.
- क्रॉस-सब्सिडी वाले आवास का मिश्रित विकास: प्राइवेट बिल्डरों को दिए गए प्लॉट पर निर्मित किए जाने वाले किफायती आवासों की संख्या के आधार पर सरकारी भूमि का आवंटन किया जाएगा.
- वार्षिकी आधारित रियायती आवास: सरकार के स्थगित वार्षिकी भुगतान के सापेक्ष बिल्डर निवेश करेंगे. बिल्डरों को भूमि का आवंटन आवास निर्माण की यूनिट लागत पर आधारित है.
- वार्षिकी सह-पूंजी अनुदान आधारित किफायती आवास: वार्षिकी भुगतान के अतिरिक्त बिल्डरों को एकमुश्त भुगतान के रूप में परियोजना लागत के एक हिस्से का भुगतान किया जा सकता है.
- प्रत्यक्ष संबंध स्वामित्व वाले आवास: उपर्युक्त चार मॉडलों के तहत बिल्डरों को सरकारी मध्यस्थता के जरिए भुगतान और लाभार्थियों को आवासों के हस्तांतरण के विपरीत इस विकल्प के तहत प्रमोटर सीधे खरीदार के साथ सौदा करेंगे और लागत राशि वसूलेंगे.
- प्रत्यक्ष संबंध किराया वाले आवास: सरकारी भूमि पर निर्मित आवासों से प्राप्त किराया आमदनी के जरिए बिल्डरों द्वारा लागत की वसूली की जा सकती है.
स्रोत (पीआईबी)
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